Kiren Rijiju: बतौर कानून मंत्री जानिए कैसा रहा किरेन रिजिजू का कार्यकाल?

Kiren Rijiju: पिछली जनवरी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू ने न्यायपालिका पर तीखा हमला बोला था। उन्‍होंने कहा था कि 'न्यायाधीशों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक जांच का सामना करने की जरूरत नहीं।

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Kiren Rijiju:देश के कानून मंत्री के तौर पर किरेन रिजिजू का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा।आज उनका मंत्रालय बदल गया है।उनकी जगह अर्जुन राम मेघवाल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।किरेन रिजिजू बतौर केंद्रीय कानून मंत्री लगातार चर्चा में रहे।उन्होंने मुखर होकर न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल भी खड़े किए। इससे न्यायपालिका बनाम सरकार जैसी स्थिति बनी।इसके चलते सरकार को असहज स्थिति का भी सामना करना पड़ा। रिजिजू को केंद्रीय कानून मंत्री के पद से हटाने के पीछे यह भी एक वजह मानी जा रही है।

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Kiren Rijiju: जानिए बतौर कानून मंत्री उनके चर्चित बयान

Kiren Rijiju:पिछली जनवरी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किरेन रिजिजू ने न्यायपालिका पर तीखा हमला बोला था। उन्‍होंने कहा था कि ‘न्यायाधीशों को चुनाव लड़ने या सार्वजनिक जांच का सामना करने की जरूरत नहीं।फिर भी वह अपने फैसलों से जनता की नजरों में हैं। लोग आपको देख रहे हैं आपका आकलन कर रहे हैं। आपके फैसले, आप न्याय कैसे करते हैं….लोग देख सकते हैं और आकलन करके अपनी राय बनाते हैं।’

रिजिजू ने कहा कि ‘भारत में अगर लोकतंत्र को फलना-फूलना है तो एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका का होना जरूरी है। हालांकि रिजिजू ने ये भी कहा कि सरकार और न्यायापालिका के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन विवाद नहीं है।’

Kiren Rijiju: भारत की न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए

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Kiren Rijiju:बीते मार्च में ही किरेन रिजिजू ने दावा किया था कि ‘कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जो भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारत की न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए।’ रिजिजू ने कहा था कि ‘कुछ लोग अदालत भी जाते हैं और कहते हैं कि कृपया सरकार पर लगाम लगाएं, कृपया सरकार की नीति बदलें। ये लोग चाहते हैं कि न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए, जो संभव नहीं हो सकता।’

रिजिजू ने कहा कि ‘भारत में अगर लोकतंत्र को फलना-फूलना है तो एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका का होना जरूरी है। हालांकि रिजिजू ने ये भी कहा कि सरकार और न्यायापालिका के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन विवाद नहीं है।’
बीती फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू ने सरकार बनाम न्यायपालिका की बात से इनकार किया था कहा था कि ‘देश में न्यायपालिका बनाम सरकार जैसा कुछ नहीं है। यह लोग हैं, जो सरकार का चुनाव करते हैं…सर्वोच्च हैं और देश भारत के संविधान के अनुसार चलता है।’

Kiren Rijiju: कॉलेजियम की व्यवस्था के प्रति मुखर

Kiren Rijiju: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की व्यवस्था के खिलाफ भी किरेन रिजिजू मुखर रहे। वे कई बार सार्वजनिक मंचों से भी इसकी आलोचना कर चुके थे।
इन्‍हीं बयानों के चलते ही बीते कुछ माह पहले ही 90 रिटायर्ड अफसरों ने इस पर नाराजगी जताई थी।

इस बाबत कानून मंत्री को पत्र भी लिखा था। अफसरों ने पत्र में लिखा था कि कानून मंत्री ने कई मौकों पर जजों की नियुक्ति के कॉलेजियम सिस्टम और न्यायिक स्वतंत्रता पर ऐसे बयान दिए, जो सुप्रीम कोर्ट पर हमला लगते हैं। पत्र में किरेन रिजिजू के बयानों की निंदा की गई और कहा गया कि न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता।वकीलों के एक ग्रुप ने भी किरेन रिजिजू के बयानों का विरोध किया था और कहा था कि उन्होंने संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है।

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