Jallikattu पर नहीं लगेगा बैन, Supreme Court ने जल्लीकट्टू को तमिलनाडु की संस्‍कृति का हिस्‍सा बताया, याचिकाएं खारिज

Supreme Court On Jallikattu: शीर्ष अदालत ने तीनों राज्यों के संशोधित कानूनों को वैध ठहराया।जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जल्लीकट्टू पिछली कुछ सदियों से प्रचलित है।

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Supreme Court on Jallikattu
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Supreme Court On Jallikattu: तमिलनाडु में हर साल आयोजित होने वाले खेल जल्लीकट्टू को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है। इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाले राज्य सरकार के कानून को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया। इसमें हिस्सा लेने वाले बैलों के साथ क्रूरता का हवाला देते हुए कानून रद्द करने की मांग की गई थी। तमिलनाडु के कानून को संसद से पास पशु क्रूरता निरोधक कानून का उल्लंघन बताया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- नए कानून में क्रूरता के पहलू का ध्यान रखा गया है।यह खेल सदियों से तमिलनाडु की संस्कृति का हिस्सा है। ऐसे में इसे बाधित नहीं किया जा सकता।

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Supreme Court On Jallikattu: कानूनों को वैध ठहराया

Supreme Court On Jallikattu: शीर्ष अदालत ने तीनों राज्यों के संशोधित कानूनों को वैध ठहराया।जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जल्लीकट्टू पिछली कुछ सदियों से प्रचलित है। हालांकि संविधान पीठ ने यह भी कहा कि कोर्ट यह तय नहीं कर सकती है, कि क्या यह तमिलनाडु की संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है। इसे राज्य की विधायिका को यह तय करना होगा कि क्या यह एक सांस्कृतिक प्रथा है जिसे संशोधन द्वारा संरक्षित किया जा सकता है।

Supreme Court On Jallikattu: याचिकाकर्ताओं ने खेल में पशुओं के साथ क्रूरता की दी थी दलील

Supreme Court On Jallikattu: कोर्ट ने कहा चूंकि तमिलनाडु विधानसभा ने पहले ही जांच कर ली है कि जल्लीकट्टू एक सांस्कृतिक प्रथा है जिसे संरक्षित किया जाना है। ऐसे में हम इसके लिए आदेश पारित नहीं करेंगे।सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को यह तय करना था कि जल्लीकट्टू और सांडों को काबू में करने वाले अन्य खेलों को संविधान के अनुच्छेद 29 के तहत सांस्कृतिक प्रथाओं के रूप में संरक्षित किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर रोक लगाने से इंकार करते हुए जल्लीकट्टू के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन याचिकाकर्ताओं ने इन खेलों की अनुमति देने वाले राज्यों के क़ानूनों की वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया था कि इस तरह के खेलों में पशुओं के साथ क्रूरता होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने माना जलीकट्टू तमिलनाडु का कल्चरल एक्टिविटी है इसलिए इसमे हस्तक्षेप नहीं करेगा।कोर्ट ने खेल को लेकर जो नियम का प्रशासन सख्ती से लागू करने का आदेश भी दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा तमिलनाडु विधानसभा द्वारा इन खेलो के नियमों और उनके विनियमन के जरिए पशुओं के प्रति क्रूरता को कम करने को लेकर संशोधन किया जा चुका है। ऐसे में एक बार लागू होने के बाद, उपरोक्त अधिनियम क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 अधिनियम की धारा 3 और 11 का उल्लंघन नहीं करता।

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