Allahabad High Court का सरकार को आदेश- बिना Treatmeant, पानी Ganga में नहीं गिराया जाए

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Allahabad High Court
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Allahabad High Court के तीन जजों की पूर्णपीठ ने गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त रखने को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि प्रयागराज में माघ मेला को देखते हुए कल्पवासियो के स्नान व आचमन के लिए 3700 क्यूसेक पानी गंगा नदी में छोड़ा जाए। साथ ही गंगा जल की शुद्धता बरकरार रखने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया कि कानपुर व आसपास के जिलों से किसी भी टैनरी का अनट्रीटेड पानी गंगा नदी में न गिरने दिया जाए।

Allahabad High Court ने काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से मांगा जवाब

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याचिकाओं पर बहस के दौरान कोर्ट को बताया गया कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने में जो मलवा घरों व मंदिरों को तोड़ने से निकला उस मलवा से गंगा नदी के अंदर पाटकर दीवार बनाई गई है। कहा गया कि सरकार ने यह काम किस कानून के तहत किया यह किसी के भी समझ से परे है। वकीलों ने कोर्ट को बताया कि एक तरफ केन्द्र सरकार गंगा नदी को साफ करने के लिए करोड़ों खर्च कर रही है और वहीं दूसरी तरफ काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने में मलवा गंगा में डालकर दीवाल खड़ी की गई है। हाईकोर्ट ने इस पर काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अधिवक्ता विनीत संकल्प से कहा कि वह इस मामले में अपना स्पष्टीकरण कोर्ट में  मुकदमा की अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी  2022 को दे।

कई एसटीपी नहीं कर रहे हैं काम

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याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता वीसी श्रीवास्तव ने प्रयागराज में लगे एस टी पी के काम करने को लेकर अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट हलफ़नामा के मार्फत कोर्ट में दिया। उन्होंने कहा कि कई एसटीपी काम नहीं कर रही है। कहा गया कि कई जगह सीवर लाइन को जोड़ा नहीं गया है। कहा गया कि एसटीपी का ट्रीटेड पानी जांच के लिए भेजा गया है।

Allahabad High Court ने STP का विस्तृत ब्यौरा मांगा

हाईकोर्ट ने वकीलों के इस कथन पर भी संज्ञान लेते हुए सरकार से पूछा है कि एसटीपी का बिजली बिल 2019 के बाद से लगभग 66 लाख़ रूपया बकाया है, इसका भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने एसटीपी के क्रियाशील होने तथा उसके द्वारा पानी क साफ करने की योजना व विस्तृत ब्यौरा देने को कहा है। कोर्ट ने प्रयागराज में आसन्न माघ मेला को देखते हुए निर्देश दिया है कि गंगा में बांधो व कैनालो से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाय। इस जनहित याचिका पर न्याय मित्र के रूप में ए के गुप्ता ने भी  पक्ष रखा तथा प्रदेश सरकार व काशी में मंदिर कॉरिडोर बनाने में गंगा को प्रदूषित करने का मुद्दा उठाया।

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