अरविंद केजरीवाल ही होंगे दिल्ली के ‘किंग’, यहां पढ़ें फैसले की 10 बड़ी बातें…

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Delhi GOVT vs LG
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Delhi GOVT vs LG: दिल्ली का बॉस कौन? इस मुद्दे पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पांच जजों की पीठ ने केजरीवाल सरकार के हक में फैसला सुनाया। हालांकि, एलजी के पावर को लेकर भी शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच चल रहे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार के पास ही शक्ति होनी चाहिए।

बता दें कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में होंगी, इस पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने 14 फरवरी 2019 को एक फैसला दिया था लेकिन, उसमें दोनों जजों का मत फैसले को लेकर अलग-अलग था। लिहाजा फैसले के लिए तीन जजों की बेंच गठित करने के लिए मामले को चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया गया था। इसी बीच केंद्र ने दलील दी थी कि मामले को और बड़ी बेंच यानी संविधान पीठ को भेजा जाए। अब जब संविधान पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई तो जजों ने क्या कुछ कहा पढ़ें 10 बड़ी बातें:

Supreme Court on The Kerala Story
Supreme Court

Delhi GOVT vs LG: फैसले की 10 बड़ी बातें:

अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा।

चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। अगर चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक व्यस्था का अधिकार नहीं होगा, तो फिर ट्रिपल चेन जवाबदेही पूरी नहीं होती।

सीजेआई ने कहा, यह सब जजों की सहमति से बहुमत का फैसला है। यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है। अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है?

उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी।

पुलिस, पब्लिक आर्डर और लैंड का अधिकार केंद्र के पास रहेगा।

सीजेआई ने कहा, NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है। ऐसे में राज्य पहली सूची में नहीं आता। NCT दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम हैं।

सीजेआई ने कहा, प्रशासन को GNCTD के संपूर्ण प्रशासन के रूप में नहीं समझा जा सकता है, नहीं तो निर्वाचित सरकार की शक्ति कमजोर हो जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एलजी के पास दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दों पर व्यापक प्रशासनिक अधिकार नहीं हो सकते।

एलजी की शक्तियां उन्हें दिल्ली विधानसभा और निर्वाचित सरकार की विधायी शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देती।

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