Allahabad High Court ने कहा है कि पंचाट (Arbitration) से पहले लोक अदालत को सौहार्द पूर्ण समझौते का प्रयास करना जरूरी है और यदि समझौता नहीं हो पाता तो संक्षिप्त कार्यवाही का उल्लेख किया जाना चाहिए। अगर किसी भी मामले में ऐसा नहीं किया जाता तो पंचाट अवैधानिक होगा। कोर्ट ने समझौते का सुसंगत प्रयास किए बगैर लोक अदालत के दिये ग्रे पंचाट को रद्द कर दिया है और पक्षकारों को लोक अदालत वापस भेज दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि समझौता विफल होता है तो गुण-दोष पर विनिश्चय करते समय प्रयास का संक्षिप्त उल्लेख पंचाट में किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रबंधक की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
स्वास्थ्य बीमा का है मामला
मालूम हो कि विपक्षी ने अपनी पत्नी प्रमिला त्रिपाठी व बच्चे का स्वास्थ्य बीमा करवाया था। प्रमिला अपोलो अस्पताल नई दिल्ली में भर्ती हुई। आपरेशन हुआ और खर्च को लेकर बीमा कंपनी पर 3 लाख 64 हजार 70 रूपये का दावा किया गया। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि विपक्षी की पत्नी प्रमिला मोटी थी और वो 12 साल से इलाज करा रही थी। उसका वजन 115 किलो था लेकिन 58 किलो बताकर बीमा कराया गया था। इसके खिलाफ स्थायी लोक अदालत में दावा कर ब्याज सहित खर्च दिलाने की मांग की गई। अदालत ने तारीख तय की और जवाब दाखिल हुआ। अदालत द्वारा समझौते का ठोस प्रयास नहीं किया गया और 3 लाख 64 हजार 678 रूपये 10 फीसदी ब्याज सहित पंचाट जारी कर दिया गया। जिसे बीमा कंपनी ने चुनौती दी थी।
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