~देव कुमार गुप्ता

मोदी सरकार ने अपने 3 साल के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं जिसमें नोटबंदी, जीएसटी जैसे फैसलों को लोग युगों युगों तक याद रखेंगे। इसी तरह का एक और फैसला मोदी सरकार और आरबीआई दोनों मिलकर ले सकते हैं। हालांकि इस फैसले को अमलीजामा पहनाने में और जमीनी स्तर पर लाने में अभी काफी वक्त लगेगा। यह फैसला है डिजिटल प्लेटफार्म में करेंसी लाने का। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक अब डिजिटल प्लेटफार्म पर करेंसी के आदान-प्रदान को लेकर काम कर रही है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही देश की जनता डिजिटल प्लेटफार्म पर ही करेंसी का आदान-प्रदान करेगी। इस करेंसी को हम वर्चुअल करेंसी भी कह सकते हैं। इस करेंसी का नाम होगा लक्ष्मी इस तरह ये वर्तमान समय में चल रहे डिजिटल करेंसी ‘बिटक्वॉइन’ का विकल्प होगा।

दरअसल, दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर आरबीआई ने भारत में भी इसे लाने का सोचा है। वर्तमान में बिटक्वॉइन करेंसी के द्वारा डिजिटली पैसों का आदान-प्रदान हो रहा है, जिसे कुछ देशों ने मान्यता दी है। 2009 में आया यह करेंसी बड़ी तेजी के साथ पूरे विश्व में फल-फूल रहा है। हाल ही में जापान ने भी इसे मान्यता प्रदान की है। भारत में भी इसका कारोबार फैल रहा है और अब तक लगभग 5 लाख लोग इसके यूजर्स बन चुके हैं। लेकिन आरबीआई चाहता है कि बिटक्वॉइन का एक विकल्प तैयार किया जाए और भारतवासी डिजिटल लेनदेन के लिए उसका इस्तेमाल करें। इस काम के लिए आरबीआई ब्लॉकचेन कंपनी की मदद लेगी जिसका पूरे विश्व में क्रिप्टोकरेंसी शुरू करने में महारत हासिल है।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी और बिटक्वॉइन

क्रिप्टोकरेंसी को ई-मुद्रा भी कह सकते हैं। अर्थात् इस करेंसी का इस्तेमाल कम्प्यूटर द्वारा आदान-प्रदान में होगा। इस करेंसी का जो मूलतः रूप होता है, उसे बिटक्वाइन कहा जाता है। जैसे अमेरिका में करेंसी डॉलर चलती है, भारत में रूपया चलती है, ठीक उसी प्रकार इस करेंसी का आदान-प्रदान ‘बिटक्वाइन’ में होता है। अभी सिर्फ बिटक्वॉइन ही है जिसको मानक बनाकर लोग इसका इस्तेमाल डिजिटली पैमेंट के लिए कर रहे हैं। इसके इस्तेमाल और भुगतान के लिये क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है। क्रिप्टोकरंसी को दुनिया के किसी भी कोने में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और किसी भी प्रकार की करसी में कनवर्ट किया जा सकता है जैसे डॉलर, यूरो और रुपया आदि।  इसीलिए हर एक बिटक्वॉइन का दाम डॉलर में अलग, यूरो में अलग और रूपयों में अलग होता है। एक तरह से हम कह सकते हैं कि जैसे सोने को पूरे विश्व में एक आर्थिक मानक के रूप मे अपनाया जाता है। ठीक उसी तरह की पहल इस बिटक्वॉइन के साथ किया जा रहा है। बिटक्वॉइन अभी पूरे विश्व में नहीं फैला है लेकिन ये बड़े तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। भारतीय बैंक इसको समझने में लगे हैं और जल्द ही इसका विकल्प ‘लक्ष्मी’ करेंसी लेकर आएंगे।

बता दें कि इस मामले में एसबीआई बैंक आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, स्काइलार्क, केपीएमजी और 10 कमर्शियल बैंकों के साथ काम कर रहा है। इस डिजिटल करेंसी का दुष्प्रभाव क्या होगा बैंक इसको जानने में भी लगी है क्योंकि 2009 में बिटक्वॉइन के आने के बाद से इसके दुष्प्रभाव भी सामने आए थे। भ्रष्टाचार फैलने में इसकी एक बड़ी भूमिका देखी गई थी। हालांकि इसका रेगुलेशन सरकार के हाथों में नहीं था। लेकिन लक्ष्मी करेंसी का रेगुलेशन जाहिर है कि सरकार अपने ही हाथों में रखेगी ताकि किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार न हो पाए। दूसरी ओर भारत जैसे देश में जहां डिजिटल पैमेंट भी अभी मुश्किल से कुछ लोग ही करते हैं। ऐसे में लक्ष्मी जैसी करेंसी को लोग कितना अपना पाएंगे, ये विचारणीय है।

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