क्यों था स्टेशन का नाम ‘Habibganj’? जानें यहां संपूर्ण इतिहास

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Habibganj Railway Station
Habibganj Railway Station

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन (Habibganj Railway Station) का नाम अधिकारिक तौर पर अब भोपाल की आखिरी हिंदू रानी कमलापति (Rani Kamlapati) कर दिया गया है। हर जगह रानी कमलापति की चर्चा हो रही है। चर्चा के बाद पता चल गया कि रानी कमलापति भोपाल के राजा निजाम शाह की 7वीं पत्नी थीं। गोड़ समाज की स्थापना करने में इनकी बड़ी भूमिका थी। यहां पर हबीब की चर्चा नहीं हो रही है। मतलब विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम हबीबगंज कैसे हुआ इस बात पर कोई खोज खबर नहीं निकाली जा रही है।

भोपाल के नवाब का नाम था हबीब मियां

यहां पर हम बताएंगे कि आखिर रेलवे स्टेशन का नाम कैसे हबीबगंज पड़ा था। रेलवे स्टेशन का नाम हमेशा से हबीबगंज नहीं था। पहले इसे शाहपुर के नाम से जाना जाता था।

रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का निर्माण ब्रिटिश काल 1905 में हुआ था। तब इसे शाहपुर नाम दिया गया था। 1979 में स्टेशन का विस्तार हुआ, तब इसका नाम हबीबगंज रखा गया। हबीबगंज का नाम भोपाल के नवाब हबीब मियां के नाम पर रखा गया था। उस समय एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था तब दोनों को जोड़कर हबीबगंज रखा गया था।

हबीब मियां ने 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान में दी थी। इसके बाद इसका नाम हबीबगंज रखा गया था। खैर इस बात को लेकर इतिहास में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिलता है कि आखिर हबीबगंज ही क्यों रखा गया था।

रानी का इतिहास

रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ के राजा निजाम शाह की पत्नी और 18वीं शताब्दी की रानी थी। निजाम शाह गौड़ सूरज सिंह के पुत्र थे। निजाम शाह की 7 पत्नियां थी उसी में से रानी कमलापति थीं। यह काफी बहादुर और साहसी थीं। रानी ने बहादुरी के साथ अपने पूरे शासन काल में आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया था। रानी की बहादुरी को बनाए रखने और इतिहास में उनके योगदान को ध्यान में रखने के लए रेलवे स्टेशन का नाम रानी के नाम पर रखा गया है।

फेमस कहावत

इतिहास कहता है कि रानी परी के समान सुंदर थी। उनकी सुंदरता की चर्चा पूरे नगर में थी। उस वक्त एक कहावत बड़ी फेमस हुआ करती। जे कि इस प्रकार है..

तालों में ताल भोपाल ताल, बाकी सब तलैया।
रानी तो कमलापति, बाकी सब रनैया।।

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