अब तीन तलाक देने वालों की खैर नहीं। सरकार तीन तलाक की ओर अपना रूख और सख्त करने जा रही है। 15 दिसंबर से शुरू होने वालें शीतकालीन सत्र में इस मामलें को लेकर विधेयक पेश किया जाएगा। जिसमें तीन तलाक देने वालों को 3 साल तक की सजा का प्रावधान पारित किया जा सकता है।

इस विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। औरतों के खिलाफ लगातार बढ़ रहे तीन तलाक के मामलों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध घोषित कर दिया था, बावजूद इसके तीन तलाक के मामलें लगातार प्रकाश में आ रहे थे। इसलिए अब इस मामलें में एससी कड़ा रूख अख्तियार करने जा रही है।

15 दिसम्बर से शुरू होने जा रहे इस शीत सत्र में तीन तलाक में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सजा और जुर्माने का प्रावधान तैयार किया जाएगा। ‘कहते है न लातो के भूत बातों से नहीं मानते’, इसलिए अब एससी भी ऐसे लोगों को सबक सिखाने के उद्देश्य से सख्त कानून बनाने की तैयारी में हैं, जिससे महिलाओं के अधिकारों का हनन न हो।

बीते गुरुवार को केंद्र ने सभी राज्यों को विधेयक भेजकर उनसे इस बारे में सलाह मांगी है कि इस मामलें में क्या सजा और क्या कानून पारित किया जाना चाहिए? जिससे तीन तलाक पर रोक लगाईं जा सके। ये मसौदा गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर मंत्रालयीन समूह में तैयार किया गया है। इस विधेयक को ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम दिया गया है।

इस विधेयक के अनुसार अगर कोई भी पति अपनी पत्नी को उसकी मर्जी के खिलाफ तीन तलाक देता है तो वह पीड़ित पत्नी अपनी हकों के लिए मजिस्ट्रेट के पास मदद के लिए गुहार लगा सकती है। इस कानून के तहत पति को अपनी पत्नी और बच्चों को भरण पोषण के लिए गुजारा भत्ता देना होगा। अब ये तय करना मजिस्ट्रेट का काम होगा कि पीड़ित पत्नी को कितना भत्ता दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने गत 22 अगस्त को एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के चलन को असंवैधानिक करार दिया था। जिसके बाद तीन तलाक़ मामलों की सख्यां में कमी तो आई है लेकिन सरकार इसे जड़ से उखाड़ फेंकना चाहती है। इस नए कानून के तहत एक बार में तीन तलाक हर पहलु से गैरकानूनी माना जाएगा चाहे वह लिखित हो, बोला गया हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक रूप में हो। यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में लागू किया जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here