Pegasus Scandal मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द ही कमेटी गठन करेगा। Supreme Court ने कहा कि पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर रहे है। ये कमेटी कैसी होगी और जांच किस तरह आगे बढ़ेगी, इसपर अगले हफ्ते आदेश आ सकता है।
CJI ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा हम इसी हफ्ते आदेश जारी करना चाहते थे लेकिन जो एक्सपर्ट कमेटी बना रहे हैं उसके एक सदस्य ने निजी कारणों से शामिल होने से इनकार कर दिया है। इसलिए मामले पर आदेश जारी करने में देरी हो रही है।
CJI ने इस बारे में वकील सी यू सिंह को बताया कि कमेटी अगले हफ्ते तक गठन कर दी जाएगी। सीयू सिंह पेगासस मामले में पेश होने वाले वकीलों में से एक हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि इसको लेकर आदेश अगले हफ्ते तक आ सकता है। जल्द ही टेक्निकल एक्सपर्ट्स की कमेटी को फाइनल कर लिया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया के खुलासे के बाद मचा था बवाल
गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले ही पेगासस जासूसी मामले का मुद्दा सामने आया था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया एजेंसियों ने दावा किया था कि भारत सरकार ने इजरायली स्पाइवेयर के दम पर देश में कई नेताओं, पत्रकारों और अन्य हस्तियों की जासूसी की गई है। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से साफ कहा गया कि पत्रकारों, राजनेताओं, कर्मचारियों पर जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किए जाने संबंधी आरोपों वाली याचिकाएं अनुमानों पर आधारित हैं, आरोपों में कोई दम नहीं है।
क्या है पेगासस
पेगासस एक स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय और व्यक्तिगत जानकारियां निकाल लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है। यह सॉफ्टवेयर आपके फोन में एक मैसेज या मिस्डकॉल से एक्टिवेट हो जाता है। इसके जरिए आपके फोन की जासूसी करता है। इरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है। इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रेकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है।
क्या कहता है भारत का कानून ?
भारत में इंडियन टेलिग्राफ एक्ट, 1885 के सेक्शन 5(2) के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के पास सिर्फ फोन टैपिंग कराने का अधिकार है। अगर किसी सरकारी विभाग जैसे पुलिस या आयकर विभाग को लगता है कि किसी हालत में कानून का उल्लंघन हो रहा है, तो वह फोन टैपिंग करा सकती है। आईटी एक्ट के तहत, मोबाइल या कंप्यूटर में किसी वायरस और सॉफ्टवेयर के तहत सूचना लेना गैरकानूनी है। यह हैकिंग की श्रेणी में आता है, जो अपराध है। आईटी मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा कि सरकार अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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