बिहार और देश की राजनीति का बड़ा नाम लालू प्रसाद यादव अक्सर किसी ना किसी मामले की वजह से विवादों में घिरे में रहते हैं। कभी चारा घोटाला तो कभी बेनामी संपत्ति, किसी ना किसी भ्रष्टाचार संबंधित आरोप उन पर लगते रहते हैं और वो मीडिया की सुर्खियों में चर्चा का विषय बन जाते हैं।
इस बार लालू यादव राजनैतिक ताकतों का गलत फायदा उठाने के चक्कर में फंस गए हैं। दरअसल , लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजप्रताप मौजूदा बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं। लिहाजा उन्होंने अपने पिता लालू यादव की तबीयत खराब होने पर पटना के तीन बड़े सरकारी डॉक्टरों और दो नर्सों को हफ्ते भर के लिए अपने घर पर ही ड्यूटी पर रख लिया। डॉक्टरों और नर्स की टीम ने लालू के घर पर रहकर उनका इलाज किया।
मई के आखिर में लालू यादव की तबीयत खराब हुई थी. जिसके बाद उनके इलाज के लिए इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGIMS) के तीन डॉक्टर और दो नर्स की टीम को लालू के इलाज के लिए भेजा गया।
31 मई से 8 जून तक इन तीन बड़े डॉक्टरों और नर्सों की टीम ने स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव के आवास पर रहकर उनके पिता लालू प्रसाद यादव का इलाज किया। बताया जा रहा है कि तेज प्रताप यादव ने ही डॉक्टरों को इसका आदेश दिया था।
अब लालू पर आरोप है कि इस तरीके से सरकारी खर्चे पर इलाज कराना गलत है। ऐसे में सरकारी आवास पर लालू के इलाज की खबर के बाद लालू परिवार एक बार फिर विवादों में आ गया है। हालांकि, IGIMS के डॉक्टर पीके सिन्हा ने सफाई देते हुए कहा कि लालू जी के नाम पर कोई डॉक्टर नहीं भेजा गया। डॉ पीके सिन्हा ने कहा कि तेज प्रताप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री और IGIMS के चेयरमैन होने के नाते उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। डॉक्टर ने कहा कि एक आम आदमी और एक चेयरमैन में फर्क होता है। हम उन्हें किसी चीज के लिए मना भी नहीं कर सकते।