उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के कुछ ही दिनों के अन्दर जनपद सहारनपुर में हुए कई जातीय संघर्ष पर राजनीतिक दलों ने सियासी रोटियां सेकनी शुरू कर दी हैं, जिसके चलते दलितों की रहनुमा कहलाई जाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती मंगलवार को सहारनपुर के गांव शब्बीरपुर पहुंची। उससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती का मुजफ्फरनगर में NH-58 पर कई स्थानों पर बसपा कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया।
बसपा अध्यक्ष कुछ देर के लिए मुजफ्फरनगर में NH-58 पर स्थित होटल सोलिटेर इन पर रुकी। जहां उन्होंने कार्यकर्ताओ से बंद कमरे में मुलाकात की। उनके साथ बसपा के महासचिव सतीश चन्द मिश्रा भी मौजूद रहे। मीडिया से बात करते हुए मायावती ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा।
मायावती ने मीडिया से बात करते हुए बीजेपी पर जमकर हमला बोला। मायावती ने कहा कि बीजेपी की जो सरकार चल रही है, वो जातिवाद और पक्षपात के आधार पर चल रही है। सहारनपुर जिले के शब्बीरपुर गांव में जो घटना हुई है, बड़ी दुःखद है और शासन और प्रशासन की लापरवाही की वजह से हुई है।
योगी की सरकार में दलित और पिछड़े वर्ग की तो खासकर उपेक्षा हो रही है। खास तौर से दलितों के जो महापुरुष हैं, उनका वो मान सम्मान बराबर नहीं कर रही है क्योंकि शब्बीरपुर गांव में कोई झगड़ा नहीं था।
14 अप्रैल को लोग उनकी अपनी जगह रविदास मंदिर के चबूतरे पर बाबा साहेब की प्रतिमा रखकर प्रोग्राम करना चाहते थे, लेकिन सहारनपुर के डीएम और एसएसपी ने उनको इजाजत नहीं दी। उसके बाद 5 मई को महाराणा प्रताप की जयंती निकलनी थी, जो उन्होंने बिना सरकार की इजाजत के निकाली। तो दलितों का यही कहना था कि भाई आपने जो इनका जुलूस बिना इजाजत के निकलने दिया है और हम तो आपसे इजाजत मांग रहे थे लेकिन आपने उनको इजाजत नहीं दी। इतना कहने पर ही शासन-प्रशासन को उधर ध्यान देना चाहिए था। उनकी कमी की वजह से जो वहां पर अराजक तत्व थे, जो जातिवादी तत्व थे, उन्होंने उस गांव के ऊपर हमला बोला और ज्यादातर जो दलितों के घर थे, जला दिए गए। लोगों को बड़ा जख्मी किया। बहन बेटियों को बेइज्जत किया। मेरी नजर में ये बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
मायावती ने आगे कहा कि मैं योगी को ये बताना चाहती हूं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की ये जो जातिवादी और पक्षपात वाली मानसिकता है, ये ज्यादा दिन नहीं चलेगी। मैं नरेन्द्र मोदी को भी ये कहना चाहती हूं कि वो बाबा साहब अंबेडकर की बात तो बहुत करते हैं, उनके नाम पर संग्रहालय बनाने की बात करते हैं। स्मारक बनाने की बात करते हैं, उनके नाम पर इंस्टिट्यूट का नाम रखने की बात करते हैं लेकिन इनके जो अनुयायी हैं, उनके साथ इनका बर्ताव बिल्कुल भी सही नहीं है।