बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। अब इस मामले में जांच की निगरानी खुद सुप्रीम कोर्ट करेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 4 हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। अभी इस मामले की पटना हाईकोर्ट निगरानी कर रहा था। इस मामले की हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी मामले की सुनवाई चल रही है। मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड मामले की जांच सीबीआई कर रही है। अभी तक जांच की मॉनीटरिंग पटना हाईकोर्ट द्वारा की जा रही थी। इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जांच के संबंध में सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी।

सीबीआई द्वारा एसपी जेपी मिश्रा के ट्रांसफर को लेकर उचित जवाब नहीं देने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए फटकार लगाई थी। बता दें कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 बच्चियों से दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। बाद में कई बच्चियों ने संचालक ब्रजेश ठाकुर पर दरिंदगी के आरोप लगाए थे। आरोपी ब्रजेश ठाकुर से पति के संबंधों का मामला सामने के बाद बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को बीते दिनों इस्तीफा भी देना पड़ा था। मंजू वर्मा के पति चंद्रेश्वर वर्मा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे।

कोर्ट के सामने रखी गई रिपोर्ट में ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ को मिले अनुदान के पैसों के गबन का भी अंदेशा जताया गया था। कोर्ट को बताया गया कि 10 साल में ब्रजेश के एनजीओ को 4.5 करोड़ रुपए का अनुदान मिला। इसके खर्च का सही ब्यौरा नहीं है। ब्रजेश के पास काफी संपत्ति है। उसने कई गाड़ियां भी खरीदी हैं। इस पर कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को ब्रजेश और उसके एनजीओ की संपत्तियों की जांच का भी आदेश दे दिया। कोर्ट ने कहा, “आरोपी की संपति की जांच हो। पता लगाया जाए कि अनुदान में मिले साढ़े 4 करोड़ रुपये कहां गए? उनका क्या इस्तेमाल हुआ

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