सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट का उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें तमिल भाषा में परीक्षा देने वाले नीट-यूजी 2018 के अभ्यर्थियों को अनुवाद में गलती के कारण 196 ग्रेस मार्क्स देने को कहा गया था। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया था और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीएसई की याचिका पर नोटिस जारी किया।

मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन छात्रों ने तमिल भाषा चुनी थी, वो दूसरे छात्रों के मुकाबले फायदेमंद स्थिति में थे। एस ए बोबडे और एल नागेश्वर राव की बेंच अब मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद करेगी। कोर्ट ने कहा है कि हम इस तरह से मार्क्स खैरात में नहीं बांट सकते।

हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने 10 जुलाई को सीबीएसई को आदेश दिया था कि नीट की परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का चयन करने वाले छात्रों को 49 प्रश्नों के तमिल में अनुवाद में गलतियों के सिलसिले में प्रत्येक सवाल के लिए चार अंक के हिसाब से 196 अंक प्रदान किए जाएं। हाईकोर्ट ने राज्य सभा सदस्य टी के रंगराजन की जनहित याचिका पर सीबीएसई को निर्देश दिया था कि इसके परिणामस्वरूप पात्र छात्रों की सूची परिवर्तित करके नए सिरे से इसका प्रकाशन किया जाए।

याचिकाकर्ता ने इन 49 सवालों के लिए पूर्ण अंक प्रदान करने का अनुरोध करते हुए कहा था कि तमिल भाषा के सवालों में मुख्य शब्दों का अंग्रेजी से गलत अनुवाद हुआ था और इसकी वजह से छात्रों में भ्रम की स्थिति बन गई थी। नीट की परीक्षा में 720 अंकों के कुल 180 सवाल थे।

सीबीएसई ने 11 भाषाओं में 136 शहरों में छह मई को नीट परीक्षा आयोजित की थी और इसके परिणाम चार जून को घोषित हुए थे। तमिलनाडु के 10 जिलों में 170 केन्द्रों पर करीब एक लाख सात हजार छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे।

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