देश की शिक्षा व्यवस्था की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा सुधार माना जा सकता है। दरअसल, सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पत्राचार पाठ्यक्रमों के माध्यम से टेक्निकल एजुकेशन नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कॉरेस्पोडेंस के माध्यम से कोई भी तकनीकी या इंजीनियरिंग कोर्स नहीं किया जा सकेगा। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में ओडिशा हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से टेक्नीकल एजुकेशन देने की इजाजत दी गई थी। अदालत ने डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से इस तरह के कोर्स करवाने वाले संस्थानों पर भी रोक लगा दी है।

बता दें कि इस तरह के कोर्स को ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन भी कॉरस्पोंडेंस से होने वाले कोर्स को मान्यता नहीं देता है।  इस फैसले के बाद अब छात्र डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से एमबीए व अन्य डिग्रियां भी नहीं ले सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस अहम आदेश में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के दो साल पहले दिए फैसले पर मुहर लगाई है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि पत्राचार माध्यम से हासिल की गई ‘कंप्यूटर साइंस’ की डिग्री उस स्टूडेंट्स के समान नहीं मानी जा सकती है जिसने नियमित रूप से क्लास करके डिग्री पायी हो।

इस फैसले के बाद दूरस्थ पाठ्यक्रम के माध्यम से इंजनीयरिंग करने के बाद नौकरी पाने वालो के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि ऐसे कोर्स की कोई मान्यता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के कोर्स को करके अगर कोई नौकरी के लिए दावा करता है तो मान्यता नहीं मिलेगी।

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