भारतीय जनता पार्टी के भीतर इस वक्त सियासी गर्माहट की हलचल देखी जा रही है। एक तरफ जहां बीजेपी के दिग्गज नेता अपने सियासी मंच से सरकार की नीतियों व फैसलों की तारीफे करते नहीं थकतें तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सरकार के नीतियों व फैसलों को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। जिसे लेकर पार्टी के भीतर सियासी क्रिया-प्रतिक्रिया का सिलसिला भी जारी हो गया है।

यशवंत सिन्हा के मोदी सरकार की अर्थनीति पर किए गए सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और इस बात को दुनिया नकार नहीं सकती है। उन्होंने कहा कि पूरे दुनिया में भारत का साख बढ़ रहा है।

बता दें कि यशवंत सिन्हा ने एक लेख में मोदी सरकार की अर्थनीति और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि निजी निवेश में आज जितनी गिरावट है उतनी दो दशक में कभी नहीं हुई। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र, कृषि क्षेत्र का भी बहुत बुरा हाल है। साथ ही यशवंत सिन्हा ने रोजगार पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में रोजगार देने वाला निर्माण उद्योग भी इस वक्त संकट में है।

यशवंत सिन्हा ने ना केवल मोदी सरकार की नीतियों व फैसलों के बारे में लिखा बल्कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी को देखा है और उनके वित्तमंत्री सभी भारतीयों को करीब से गरीबी दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं।

यशवंत सिन्हा इतने पर नहीं रुके, उन्होंन नोटबंदी और जीएसटी पर भी हमला बोला और कहा कि ‘नोटबंदी एक आर्थिक आपदा साबित हुई है। नोटबंदी से ना जाने कितने लोगों का रोजगार छीन लिया। जबकि जीएसटी से उद्योग पर भारी छति हुई और कई धंधे बंद हो गए।’

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जीडीपी दर गणना की पुरानी पद्धति वर्ष 2015 में नहीं बदली होती तो यह अभी वास्तव में 3.7 प्रतिशत या इससे कम रहती।

सिन्हा के इस बयान से ना केवल बीजेपी पार्टी के अंदर सियासी गर्माहट है बल्कि गर्माहट विपक्षी पार्टियों में भी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यशवंत सिन्हा ने देश की आर्थिक व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी।

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