खुदरा महंगाई दर के बाद अब थोक महंगाई दर में भी इजाफा हो गया है। केंद्र सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक ये पिछले साल के मुकाबले दोगुने स्तर पर पहुंच गई है। जून में ये दर बढ़कर के 5.77 फीसदी के पार चली गई है, वहीं मई में ये 4.43 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जो कि अप्रैल में 3.18 फीसदी थी। पिछले साल मई में यह दर 2.26 फीसदी थी। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी और फिर गिरावट के बाद भी महंगाई दर में उछाल देखने को मिला। हालांकि इनकी कीमतों में केवल चार दिन गिरावट रही। 26 जून से पेट्रोल-डीजल के दाम गिरना शुरू हुए थे, उससे पहले इनमें लगातार तेजी का दौर बना हुआ था।

थोक और खुदरा महंगाई दर बढ़ने के बाद अब रिजर्व बैंक भी अपनी अगली मौद्रिक समीक्षा नीति में रेपो रेट की दरों में इजाफा करने का ऐलान कर सकता है। इससे आपके लोन की ईएमआई भी बढ़ सकती है। इसका आरबीआई ने महंगाई के 4.8 से 4.9 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर को चार फीसदी के आसपास रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन पिछले चार महीनों के दौरान महंगाई दर इस लक्ष्य से अधिक रही है। जून 2018 में खुदरा महंगाई दर भी बढ़कर 5 फीसदी हो गई थी, जोकि मई में 4.87 फीसदी थी। वहीं, औद्योगिक उत्पादन मई में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बढ़कर जबकि पिछले महीने की तुलना में घटकर 3.2 फीसदी रहा था। पिछले महीने औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.9 फीसदी थी। खुदरा महंगाई दर के ताजा आंकड़े आने से पहले ब्लूमबर्ग के इकोनॉमिस्ट पोल में इसके 4.9 फीसदी के करीब रहने का अनुमान लगाया गया था।

एपीएन ब्यूरो

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