भारतीय राजनीति में लंबे वक्त से स्विस बैंकों में जमा काला धन मुद्दा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी काले धन को लेकर तीखी राजनीतिक बहस चली। चुनाव में उतरे प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच कालेधन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला। लेकिन स्विस बैंकों में कई ऐसे खाते हैं, जिनमें जमा भारतीय खाताधारकों के 300 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है। सालों से स्विस बैंकों में जमा इस रकम की कोई सुध लेने नहीं पहुंचा है। 2015 में इन बैंकों में भारतीयों के निष्क्रिय पड़े कुछ खातों की सूचना जारी की गई थी। तब से अब तक तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन इस लिस्ट में से कोई भी दावेदार सामने नहीं आया है।

बैंकों ने पिछले 60 सालों से निष्क्रिय घोषित किए गए 3500 खातों की लिस्ट दिसंबर 2015 में जारी की थी। इनमें स्विट्जरलैंड के नागरिकों के साथ ही भारत के कुछ लोगों समेत बहुत से विदेशी नागरिकों के खाते शामिल थे। इसके बाद समय-समय पर इस तरह के और भी खातों की सूचना जारी की जाती रही है, जिन पर किसी ने दावा नहीं किया है। नियम के तहत इन निष्क्रिय खातों की लिस्ट इसलिए जारी की जाती है ताकि खाताधारकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को उन पर दावा करने का मौका मिल सके। सही दावेदार मिलने के बाद लिस्ट से उस खाते की जानकारियां हटा दी जाती हैं।

स्विस नेशनल बैंक के आकड़ों की माने तो 2017 में लिस्ट से 40 खाते और दो सेफ डिपॉजिट बॉक्स की जानकारी हटाई जा चुकी है। हालांकि अभी भी सूची में 3,500 से अधिक ऐसे खाते हैं जो कम से कम छह भारतीय नागरिकों से जुड़े हैं और इनके दावेदार नहीं मिले हैं। बैंक नियमों के अनुसार 2020 तक इन खातों के दावेदार सामने नहीं आने पर सरकार इस पैसे को अपने कब्जे में लेकर खाता बंद कर देगी।

                                                                                                                      एपीएन ब्यूरो

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