केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की दर में कटौती करने के बाद भी जनता राहत की सांस नहीं ले पा रही हैं। सरकार के जीएसटी दर कम करने के बावजूद भी ऐसा लगता है कि रेस्टोरेंट्स ने सरकार के विरुद्ध जाने की ठान ली हैं। तभी तो रेस्टोरेंट्स मैन्यू प्राइस कम करने की बजाय बढ़ाने में लगे हुए हैं। इसलिए सरकार अब अपना रुख कड़ा करते हुए इन मुनाफाखोरी प्रावधानों पर नकेल कसने की तैयारीं में जुट चुकी हैं।

ज्यादातर रेस्तरांओं का कहना है कि हमें ये फैसला सरकार की गतिविधियों की वजह से लेना पड़ा हैं। कीमतों में वृद्धि टैक्स दर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत जरूर कर दी गयी हैं लेकिन इसके साथ ही इनपुट टैक्स क्रैडिट खत्म हो चुकी हैं। जिस वजह से रेस्तरांओं को नुक्सान से गुजरना पड़ रहा हैं।

इसके विपरीत सरकार का कहना है कि जब सरकार ने रेस्टोरेंट के बिल पर लगने वाली जीएसटी दर को कम कर दिया है तो इसका फायदा ग्राहकों को कम बिल के रूप में मिलना चाहिए। लेकिन देश के ज्यादातर रेस्टोरेंट्स मनमाने ढंग से जनता से अधिकांश बिल वसूल रहे हैं, जो कि गलत है। जीएसटी की दरों में जरूर कटौती कर दी गयी हैं लेकिन रेस्टोरेंट के मालिकों ने अधिक पैसा कमाने के चक्कर में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोत्तरी कर दी हैं जिसका खामियाजा जनता को अधिक बिल चुकाकर भुगतना पड़ रहा हैं।

जीएसटी की दर 18 से घटाकर 5 प्रतिशत करने के बावजूद भी जनता को कोई इसका फायदा नहीं मिल रहा हैं और महंगाई ज्यों की त्यों ही हैं।

रेस्टोरेंट्स द्वारा जीएसटी दरों से ज्यादा बिल वसूलने की वजह से गुस्साएं लोगों ने सोशल मीडिया पर रेस्टोरेंट्स के बिल पोस्ट कर अपना गुस्सा जाहिर किया हैं। लेकिन इस बात का रेस्टोरेंट्स मालिकों पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा हैं। वो बस अपनी दलीलों पर अड़े हुए हैं कि इनपुट टैक्स क्रेडिट घटाने की वजह से ही हमें ये कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा हैं।

वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने मालिकों की इन दलीलों को खोखला साबित करते हुए कहा कि अगर इनपुट टैक्स क्रेडिट हटाने की वजह से ये सब हो रहा है तो जब जीएसटी लागू किया गया था तब इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं हटाया गया था लेकिन तब भी कीमत में कमी क्यूं नहीं आई थी?
सरकार मुनाफाखोरी के विरुद्ध जल्द ही कानून बनाने जा रही है। कन्ज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने बताया- सामानों के इनवॉइस और बिल अब ऐंटी प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी के अंतर्गत आएंगे और रिटेलर्स को टैक्स में कमी का फायदा ग्राहकों को देना होगा।

अधिकारी ने कहा कि कानून में सरकार को शिकायतों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ स्वतः संज्ञान लेने की भी अनुमति मिली हुई है। अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि मुनाफाखोरी का मामला साबित हो गया तो हम उन पर अधिकतम संभावित जुर्माना लगाएंगे।

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