-दया सागर

प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने एक नया शिगूफा छोड़ते हुए कहा है कि अगर नीतीश कुमार कांग्रेस के अध्यक्ष बन जायें तो वह कांग्रेस की डूबती हुई नैय्या को पार लगा सकते हैं। उन्होंने कहा नीतीश एक सच्चे नेता हैं और मोदी की तरह नीतीश पर भी परिवार का दबाव नहीं है। गुहा ने कहा लेकिन वह मोदी की तरह आत्ममुग्ध नहीं हैं और यही बात नीतीश के पक्ष में जाती है। गुहा ने ये बातें अपनी लोकप्रिय किताब ‘इंडिया आफ्टर गाँधी’ के 10 वीं वर्षगांठ पूरी होने पर कही।

गुहा ने अतिशयोक्ति भरे शब्दों में कहा कांग्रेस और नीतीश का साथ जन्नत में बनी जोड़ी की तरह रहेगा। जहां कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है, वहीं नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं और दोनों एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मोदी की तरह नीतीश पर परिवार का कोई बोझ नहीं है. लेकिन वह मोदी की तरह सांप्रदायिक और लैंगिक मुद्दों पर पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हैं। गुहा ने कहा कि ये सब बातें भारतीय नेताओं में दुर्लभ ही देखी जाती हैं और नीतीश में यहीं कुछ खास गुण हैं, जो अपील करती हैं।Sonia Gandhi & Nitish Kumar Singh

वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की बात करते हुए गुहा कहते हैं कि 131 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी भारतीय राजनीति में अब कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं रह गई है और मौजूदा परिदृश्य और नेतृत्व में वह अधिक से अधिक अपनी सीटों की संख्या 44 से बढ़ाकर 100 कर सकती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा जब तक नीतीश को यह पद नहीं सौंपतीं, तब तक भारतीय राजनीति में कांग्रेस या सोनिया गांधी का कोई भविष्य नहीं है।

गुहा ने कहा कांग्रेस का पतन भारत देश के लिए चिंताजनक है क्योंकि तब भारत महज एक पार्टी वाला देश बन सकता है और एक पार्टी वाली प्रणाली लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है। एक ही पार्टी के वर्चस्व के कारण जवाहरलाल नेहरू जैसे बड़े लोकतंत्रवादी नेता भी अहंकारी हो गए थे और इंदिरा गांधी का आपतकाल भी इसी एक दलीय प्रणाली की ही देन थी। वर्तमान में नरेंद्र मोदी और भाजपा का उभार भी मुझे उसी चिंता की ओर ढकेल रहा है और इसीलिए जरुरी है कि कांग्रेस का पुनर्जन्म हो और मुझे लगता है कि नीतीश कुमार कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं।

गुहा ने इस अवसर पर पश्चिम के स्थायी ‘द्विदलीय मॉडल’ की भी तारीफ की और कहा कि भारत दो पार्टी के स्थायी मॉडल को अपनाने में नाकाम रहा है। गुहा ने कहा भारत के जिस राज्य में भी दो पार्टी वाली स्थायी प्रणाली है वहां के आर्थिक और सामाजिक सूचकांक काफी बेहतर हैं। उन्होंने इसके लिए तमिलनाडु, केरल और हिमाचल प्रदेश का उदहारण भी दिया, जो आर्थिक एवं सामाजिक सूचकांकों के मुताबिक भारत के तीन सर्वश्रेष्ठ राज्य हैं।

उन्होंने आगे कहा कि जिन राज्यों में स्थायी तौर पर दो पार्टी वाली प्रणाली होती है, वे बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं। केरल में कांग्रेस वामपंथियों पर लगाम रखती है जबकि हिमाचल में भाजपा कांग्रेस पर लगाम रखती है और यही तमिलनाडु में भी डीएमके और एआईडीएमके के सन्दर्भ में भी फिट बैठता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यों में दो पार्टी की प्रतिद्वंद्विता को कमजोर नहीं होने देना चाहिए। गुहा ने पश्चिम बंगाल (वाम मोर्चा) और गुजरात (भाजपा) का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन राज्यों में लंबे समय तक एक ही पार्टी की सरकार रही, वह ‘‘विनाशकारी’’ साबित हुई।

हम आपको बता दे कि गुहा आधुनिक भारत के एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं और उन्होंने आधुनिक भारत निर्माण के संबंध में कई बेहतरीन किताबें लिखी हैं। उनके लेखों में वामपंथ और दक्षिणपंथ दोनों की प्रखर आलोचना देखी जा सकती है पर कांग्रेस के प्रति वे थोड़ा सा नरम दिखाई देते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here