श्रीनगर में पिछले कुछ दिनों में मुठभेड़ के दौरान स्थानीय ग्रामीणों व आतंकी समर्थकों द्वारा पथराव की वारदातें सामने आ रही है। जिसकी वजह से आतंकी भी उनकी पकड़ से भाग निकलने में कामयाब हो जाते हैं। और इन्हीं बढ़ती वारदातों से चिंतित सुरक्षाबलों की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। बदलाव के तहत  जहां भी मुठभेड़ होगी वहां मोबाइल कंट्रोल रूम सारी स्थिति पर नजर रखेगा। इस फैसले को सुरक्षा समिति नें 15 फरवरी को हुई बैठक में रणनीति को अंतिम रूप दिया है।

बता दें कि नई रणनीति के तहत मोबाइल कंट्रोल रूम बख्तरबंद गाड़ी में होगा। यह संबंधित क्षेत्र से सुरक्षाबलों के पूरी तरह हटने तक मौजूद रहेगा। जम्मू कश्मीर में सभी जिला उपायुक्तों को इस बात के लिए पूरी तरह जानकारी दे दी गई है कि वह मुठभेड़ स्थल के आसपास के तीन किलोमीटर के दायरे तक किसी भी परिस्थिति में लोगों की भीड़ जमा न होने दें। वहीं दूसरी तरफ पुलिस आतंकियों के ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं और मुखबिरों की निशानदेही कर उन लोगों को चिन्हित कर अलग करना है जो अक्सर मुठभेड़ के समय ग्रामीणों को आतंकियों की मदद के लिए भड़काते रहते हैं। और सुरक्षाबलों के खिलाफ दीवार बनने को तैयार करते हैं।

नई रणनीति के तहत किसी भी जगह आतंकियों के खिलाफ तभी अभियान चलाया जाएगा जब वहां उनकी मौजूदगी की पक्की सूचना हो। इसके अलावा अभियान अंधेरा होते ही शुरू किया जाए और सुबह सूरज निकलने तक समाप्त किया जाए। इससे ग्रामीणों को मुठभेड़ स्थल पर जमा होने का मौका नहीं मिलेगा और आतंकी भाग नहीं पाएंगें।

देखा गया है कि पिछले कुछ समय से वादी में जहां भी आतंकी फंसते हैं, वहां लोग जमा होकर नारेबाजी करते हुए सुरक्षाबलों पर पथराव शुरू कर देते हैं। जिससे सुरक्षाबलों की न सिर्फ जान खतरे में आती है, बल्कि ग्रामीणों पर बल प्रयोग से कानून व्यवस्था की भी समस्या बढ़ जाती है। इन्हीं वारदातों से एक महीने के अंदर कई बार आतंकी बच निकलने में कामयाब रहे हैं। जिसमें लश्कर का मोस्ट वांटेड आतंकी दुजाना भी शामिल है। लेकिन अब इस नए नियम के तहत आतंकवादियों पर काबू पाया जा सकेगा। जिसकी वजह से सुरक्षा बल आतंकियों को आसानी से पकड़ सकेगें।

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