हिंद-प्रशांत में चार नौसेनाओं का मालाबार अभ्यास शुरू, America कर रहा है मेजबानी, संदेह की दृष्टि से देखता है China

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Malabar exercise
हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) के सहयोग को मजबूत करने के संकल्प के साथ चार देशों की नौसेनाओं (Navies) के बीच चार दिवसीय मालाबार युद्धाभ्यास शुरू हो गया है।

हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) के सहयोग को मजबूत करने के संकल्प के साथ चार देशों की नौसेनाओं (Navies) के बीच चार दिवसीय मालाबार युद्धाभ्यास शुरू हो गया है। इस युद्धाभ्यास के दौरान ही नौसेनाध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह (Admiral Karambir Singh) व अमेरिका के नौसेना प्रमुख एडमिरल माइकल गिल्डे ( Admiral Michael Gilday) ने निमित्ज क्लास के एयरक्राफ्ट कैरियर USS कार्ल विंसन का जायजा लिया।

चार नौसेनाएं हिस्सा ले रहीं हैं हिस्सा

एडमिरल गिल्डे ने कहा, ‘भारतीय नौसेना के साथ मिलकर हम अभ्यास कर रहे हैं। हमें महसूस होता है कि हम नैचुरल पार्टनर हैं और हमेशा साथ मिलकर काम करने की चाहत है। वहीं एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, ‘अभ्यास में चार नौसेनाएं हिस्सा ले रहीं हैं। मालाबार अभ्यास के दूसरे चरण में INS रणविजय (D55) और INS सतपुड़ा (F48) हिस्सा ले रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी प्रशांत में युद्धपोतों, विमानों एवं हेलीकॉप्टरों के जरिए युद्धाभ्यास किए जा रहे हैं, जिसकी की मेजबानी अमेरिका कर रहा है। अमेरिका के सातवें बेड़े ने कहा कि यह अभ्यास हिंद प्रशांत में नियम आधारित समुद्री व्यवस्था बनाए रखने के लिए समान विचारधारा वाले देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।

अमेरिका ने प्रशांत बेड़े का मिसाइल विध्वंसक यूएसएस बेरी, टास्क फोर्स 72 का टोही विमान और यूएसएनएस रैपाहनॉक समेत अन्य पोत एवं विमान तैनात किए हैं। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि सतह रोधी, वायु रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास और अन्य सैन्य व्यूह अभ्यास तथा सामरिक अभ्यास समेत कई जटिल अभ्यास किये जा रहे हैं । यहां भाग लेने वाले कई देशों के नौसेनाओं को एक- दूसरे की विशेषज्ञता एवं अनुभवों से लाभ मिलेगा।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) में एक परिचर्चा में अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो (Commander Admiral John Aquilino)ने हिंद-प्रशांत में चीन के सैन्य जमावड़े पर बात की, जिसमें समुद्री क्षेत्र में उसकी सैन्य संरचना भी शामिल है। उन्होंने मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने वाले देशों की संख्या में वृद्धि होने के संकेत भी दिए, अगर चार देशों के नेता सहमत हों। भारत के आमंत्रण के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मालाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था।

संदेह की दृष्टि से देखता है चीन

बता दें कि चीन मालाबार अभ्यास को संदेह की दृष्टि से देखता है, उसे लगता है कि यह युद्धाभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करेगा। मालाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था।

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