फर्जी मतदान और एक व्यक्ति को एक से ज्यादा जगहों पर मतदाता सूची में नामांकन करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार आधार पहचान संख्या को मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की तैयारी में जुट गई है। केंद्र सरकार इस कार्रवाई को संभवत: होने वाले यूपी समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव निपटने के बाद कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार मतदाता पहचान-पत्र(voter ID card) और मतदाता सूची को आपस में जोड़ने के लिए सैद्धांतिक रूप से तैयार है। लेकिन इसके लिए सरकार को कानूनों में संशोधन करना पड़ेगा। साथ ही डेटा सुरक्षा का ढांचा स्थापित करना होगा, जो कि एक बहुत जटिल कवायद होगी। इसमें कानूनी विवाद भी पैदा हो सकते हैं। इसलिए यह कार्रवाई संभवत: मई 2022 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के समाप्त होने बाद की जाएगी।


OTP के जरिए होगा सत्यापन
सूत्रों के मिली जानकारी के मुताबिक मतदाता सूची को आधार के ईको सिस्टम में सीड नहीं किया जाएगा, इसका इस्तेमाल सिर्फ सत्यापन के लिए ओटीपी(OTP) प्रणाली के तहत ही होगा। इन दोनों डेटा का मिलान नहीं हो पाएगा। न ही मतदाता प्रणाली को कोई टैप या इंटरसेप्ट कर सकेगा। इस प्रणाली का व्यापक ट्रायल होगा और डाटा सुरक्षा के सभी पहलुओं पर खरा उतरने बाद लिंकिंग की कार्रवाई की जाएगी।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतेजार
मतदाता सूची की आधार के साथ इस लिंकिंग के लिए केंद्र सरकार को जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन के साथ आधार कानून में भी संशोधन करना होगा। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में आधार कानून की वैधता पर दिए फैसले में कहा था कि आधार का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने लिए ही किया जाएगा। अन्य सुविधाओं के लिए आधार संख्या मांगना जरूरी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा था कि यदि सरकार आधार ईको सिस्टम में मतदाता सूची को लिंक करना चाहती है तो इसके लिए उसे कानूनी समर्थन लेना होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में निजता को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया। सरकार से कहा कि वह डाटा सुरक्षा के लिए कानून बनाए। सरकार ने डाटा सुरक्षा विधेयक तैयार किया है, जो संसद की समिति के पास अध्ययन के लिए विचाराधीन है।

30 करोड़ मतदाता पहचान पत्र लिंक
साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही निर्वाचन आयोग 30 करोड़ से ज्यादा मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक कर चुका था। कोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने इस कार्रवाई को रोक दिया था। हालांकि इसके बाद आयोग ने सरकार से आग्रह किया कि कोर्ट के आदेश को देखते हुए मतदाता पहचान पत्र और सूची को आधार से लिंक करने के लिए कानून में संशोधन करे।

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