देश में कोरोना का खतरा बढ़ते ही जा रहा है। आए दिन कोरोना नया रिकॉर्ड दर्ज कर रहा है। भारत में 24 घंटे के भीतर 1.30 नए केस रिकॉर्ड किए गए हैं। वहीं 800 लोगों की  मौत हो चुकी है। कोरोना के बढ़ते काल में वैक्सीन खत्म होने की कगार पर है। कई राज्यों में महज 6 दिन के लिए वैक्सीन का स्टॉक बचा हुआ है। भारत सरकार अब वैक्सीन से नहीं नाइट कर्फ्यू और अर्ध लॉकडाउन से कोरोना को हराने की योजना कर रही है। देश के अधिकतर राज्यों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सप्ताह में तीन दिन लॉकडाउन रहेगा।

नाइट कर्फ्यू और अर्ध लॉकडाउन को देखते हुए मजदूरों को एक बार फिर भयंकर पलायन याद आ रहा है। मजदूर अब उस दिन को फिर से नहीं झेलना चाहते हैं। इसलिए पुणे, दिल्ली और मुंबई से भारी संख्या में मजदूर अपने घरों की तरफ लौट रहे हैं। इन्हें फिर से 2020 का लॉकडाउन का डर सता रहा है।

7 अप्रैल को मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में मजदूर अपने परिवार के साथ घर का पूरा समान लेकर गांव जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। मजदूरों का कहना है कि, हमें वो दिन बहुत अच्छे से याद है जब बिना चप्पल के सड़कों पर चलते हुए गांव जा रहे थे। वो दिन हम फिर से नहीं देखना चहाते हैं। इसलिए पहले ही गांव जा रहे हैं।

वहीं दिल्ली के आनंद बिहार टर्मिनलस पर मजदूरों का भारी हुजूम दिखा। यहां पर मजदूर बोरिया बिस्तर लेकर घर की तरफ जाते हुए दिख रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि, कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा है। हमे डर है कि, फिर से पहले की तरह लॉकडाउन हो जाएगा। इसलिए हम गांव जा रहे हैं।

बता दें कि, साल 2020 में 24 मार्च को रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन घोषित कर दिया था। उस समय लोग अपने घरों में बंद थे तो देश की अर्थव्यवस्था का भार संभालने वाले मजदूर सड़कों पर नंगे पैर, तपती धूप में अपने गांव जा रहे थे। मजदूरों को राज्य के बॉर्डर पर पुलिस रोक रही थी। कई मजदूरों को पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी थी। साल 2020 का पलायन भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पलायन था जिसे देखने के बाद सब की रूह कांप जाती है।

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