Madhya Pradesh: गुना में पंचायत का फरमान- समाज में वापसी के लिए सिर पर रखने होंगे जूते, पीना होगा गोमूत्र

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Madhya Pradesh के गुना की पहचना वैसे तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी हुई है क्योंकि अगर पिछले लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो सिंधिया राजघराने के चिराग ज्योतिरादित्य सिंधिया यहीं से दिल्ली के संसद का रास्ता तय करते थे। लेकिन पिछले मोदी लहर में सिंधिया को अपनी गुना की यह सीट गंवानी पड़ी थी।

खैर ये तो रही राजनीति की बात, अब आते हैं असल मुद्दे पर। मघ्य प्रदेश के गुना शहर के शिवाजीनगर में एक पंचायत ने ऐसा फरमान जारी किया है, जिसे सुनकर गुना के डीएम भी सकते में आ गये। दरअसल डीएम फ्रैंक नोबल के पास अपनी एक दरख्वास्त लेकर पहुंचा, जिसे पढ़ने के बाद डीएम साहब भी कांप उठे।

गांववालों ने हीरालाल के यहां शादी से मृत्यु तक हर कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया

हीरालाल घोषी की फरियाद पर सुनवाई करते हुए डीएम फ्रैंक नोबल ने तुरंत एसडीएम को आदेश दिया की वो मामले की जांच करें और दोषियों के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्यवाही करें। खबरों के मुताबिक हीरालाल घोषी की गांव में अवासीय जमीन थी, जिसे कुछ दबंग किस्म के लोग हड़ना चाहते थे।

दबंगों ने मंदिर के लिए जमीन दान देने के लिए हीरालाल पर बहुत दबाव डाला लेकिन जब हीरालाल तैयार नहीं हुआ तो दबंगों ने पंचायत बुलाकर गांव से हीरालाल के परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया। हद तो तब हो गई जब पंचायत ने अपने फैसले में कहा कि चूंकि हीरालाल ने भगवान के लिए अपनी जमीन नहीं दी। इसलिए पूरा गांव उसका बहिष्कार करेगा और हीरालाल के परिवार में होने वाली शादी से लेकर अंतिम संस्कार में गांव का कोई भी आदमी भाग नहीं लेगा।

समाज में वापसी के लिए गोमूत्र पीना पड़ेगा

पंचायत ने अपने फरमान में यह भी बताया कि अगर परिवार समाज में वापस लौटना ताहता है तो पूरे परिवार को सिर पर जूता रखना होगा और पगड़ी को पैरों में बांधना होगा और साथ ही पूरे परिवार को गोमूत्र भी पीना पड़ेगा।

हीरालाल ने अपनी शिकायत में डीएम को बताया कि उनके परिवार ने अपनी पुश्तैनी जमीन में से 3 बिसबा (करीब 4000 वर्गफीट) जमीन मंदिर के लिए दान दे दी। जिसके बाद अब ग्वाल समाज पंचायत करके दबाव बना रहा है कि शेष बची जमीन भी मंदिर को दान में दे दी जाए।

जिस जमीन को पंचायत दान में मांग रही है उसपर हीरालाल और उसके भाई का घर बना हुआ है। अगर वो जमीन दान करते हैं तो बेघर हो जाएंगे। इस संबंध में जब गुना के डीएम को हीरालाल का आवेदन मिला तो उन्होंने तुरंत मामले की जांच के लिए एसडीएम को निर्देश दे दिया।

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