Madan Mohan Malviya की आज जयंती, जानें BHU के संस्थापक से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

0
403
Madan Mohan Malviya
Madan Mohan Malviya

महान स्वतंत्रता सेनानी Madan Mohan Malviya का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही मदन मोहन मालवीय को देश एक वरिष्ठ पत्रकार, वकील और समाज सुधारक के तौर पर भी जानता है। मदन मोहन मालवीय ने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया था। जिसको ध्यान में रखते हुए 2015 में मदन मोहन मालवीय को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

Madan Mohan Malviya
Madan Mohan Malviya

Madan Mohan Malviya का शुरूआती जीवन

मदन मोहन मालवीय ने 5 साल की आयु से ही संस्कृत की पढ़ाई शुरू कर दी थी। इसके बाद वे इलाहाबाद के जिला स्कूल में पढ़ने गए। यहां उन्होनें कविताएं लिखनी शुरू की, उनकी कवितायें बहुत प्रसिद्ध हुआ करती थीं। 1879 में उन्होंने Muir Central College से 10वीं की पढ़ाई की। फिर उन्होनें कलकत्ता विश्वविद्यालय से 1884 ई० में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। मालवीय ने अपना करियर इलाहाबाद जिला विद्यालय में एक शिक्षक के रूप में शुरू किया। मालवीय ने एलएलबी करके पहले जिला अदालत और उसके बाद 1893 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की। 1885 से 1907 के बीच तीन पत्रों (Hindustan, Indian Union और Abhyudaya) का संपादन भी किया। मालवीय ने 1909 में अंग्रेजी समाचार पत्र ‘The Leader’ की शुरूआत की जो इलाहाबाद से प्रकाशित होता था।

Madan Mohan Malviya का सामाजिक व राजनीतिक जीवन

मालवीय 1886 में कलकत्ता में कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में अंग्रेजी में भाषण देने के बाद से ही राजनीति में छा गए। मालवीय चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होंने लगभग 50 साल तक कांग्रेस की सेवा की। मालवीय इलाहाबाद नगरपालिका बोर्ड में सक्रिय रूप से शामिल रहे और वह 1903-1918 के दौरान Provisional Legislative Council के सदस्य, 1910-1920 के दौरान Central Council, 1916-1918 के दौरान Indian Legislative Assembly के निर्वाचित सदस्य रहे।

Coffee Tutorial YouTube Thumbnail 8 2

उन्होंने 1930 में महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया था जिसमें वह गिरफ्तार भी हुए थे। मालवीय हिंदू महासभा के संस्थापक नेताओं में से एक थे।उन्होंने 1937 में राजनीतिक जीवन का त्याग कर अपना पूरा ध्यान सामाजिक मुद्दों पर लगा दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया साथ ही बाल विवाह का डटकर विरोध भी किया। मालवीय ने अपनी अंतिम सांस 1946 में ली। उनके मरणोपरांत 2015 में उनकी 153वीं जयंती से एक दिन पहले उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया।


Madan Mohan Malviya ने की थी BHU की स्थापना


Madan Mohan Malviya ने 1915 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की स्थापना की। ऐसा कहा जाता है कि जब उन्होनें BHU की स्थापना करने की सोचा तो एक निजाम से आर्थिक मदद मांगी। लेकिन उस निजाम ने मना कर दिया तब मालवीय ने बाजार में अपनी चप्पलें बेची। दिलचस्प बात तो यह है कि वो चप्पल उसी निजाम ने ऊंची दर पर खरीदी। उस चप्पल के पैसे और साथ ही कुछ इकट्ठा किए हुए पैसों से मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की नींव रखी।

Coffee Tutorial YouTube Thumbnail 6 1

आज के समय में BHU का नाम देश के बड़े विश्वविद्यालयों में आता है। मालवीय के साथ और भी बहुत लोगों का BHU को बनाने में योगदान रहा है। जैसे कि BHU का Theme Song भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक Shanti Swaroop Bhatnagar ने लिखा था। Bhatnagar, BHU में Chemistry के प्रोफेसर के तौर पर तीन साल तक कार्यरत रहे थे जिस दौरान उन्होने काशी हिंदू विश्वविद्यालय का कुलगीत लिखा। इनको भारत में शोध प्रयोगशालाओं के जनक के रूप में भी जाना जाता है। इनके सम्मान में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में Shanti Swaroop Bhatnagar Award आज भी दिया जाता है।

Coffee Tutorial YouTube Thumbnail 7 1

यह भी पढ़ें:

Atal Bihari Vajpayee Jayanti 2021: वो प्रधानमंत्री जिनकी कविताएं पत्थरों में भी जान डाल देती थीं

Atal Bihari Vajpayee की जयंती, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने दी ‘सदैव अटल’ पर श्रद्धांजलि

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here