Lakhimpur Kheri Violence: इमरान प्रतापगढ़ी ने बीजेपी पर कसा तंज, कहा- गृह मंत्री जी, आप गृह राज्य मंत्री से इस्तीफा लीजियेगा या…

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Lakhimpur Kheri
Lakhimpur Kheri Case

Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में SIT ने सीजेएम अदालत में 5,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी है। चार्जशीट दाखिल करने के साथ ही एसआईटी ने यह भी साफ कर दिया है कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसक वारदात को सोच समझकर अंजाम दिया गया था। अब इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी मानते हुए पुलिस ने 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

इस मामले में SIT की चार्जशीट के बाद कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने गृह मंत्री पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “प्रिय गृहमंत्री जी, आपके गृह राज्य मंत्री का चरित्र प्रमाण पत्र आ गया है, इस्तीफा लीजियेगा या दीजियेगा?”

बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विपक्ष लगातार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग कर रहा है। मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की ओर से कई बार इस मुद्दे को सदन में उठाया गया था।

Lakhimpur Kheri Violence
pain of the bereaved families

Lakhimpur Kheri Violence: किसानों को गाड़ी से कुचलने का आरोप

बता दें कि पिछले साल 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लौट रहे चार किसानों को एक एसयूवी कार से कुचल दिया गया था। इस घटना के बाद हुई हिंसा में भी कुछ लोग मारे गए थे। बता दें कि घटना के दौरान एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी मारे गए थे।

Lakhimpur Kheri Violence
लखीमपुर हिंसा को लेकर लोगों में आक्रोश

किसानों ने आरोप लगाया था कि एसयूवी केंद्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की थी, जिसमें घटना के समय आशीष मिश्रा भी मौजूद था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पहली सुनवाई आठ अक्टूबर को हुई थी। हिंसा के कई दिनों के बाद आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को 9 अक्टूबर को कई घंटों तक पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।

अब एसआईटी ने जांच के दौरान पाया कि किसानों को गाड़ी से कुचलने की पूरी घटना एक सोची समझी साजिश थी। फिर एसआईटी ने आरोपियों पर लगाई गई धाराएं भी बदल दी हैं। एसआईटी की ओर से अब इस मामले में IPC की धाराओं 279, 338, 304 A को हटाकर 307, 326, 302, 34,120 बी,147, 148,149, 3/25/30 लगाई गई हैं।

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