लखीमपुर खीरी (Lakhimpur-Kheri) कांड एक सोची समझी साजिश थी। लखीमपुर की घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। विवेचना में कहा गया कि घटना कोई दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या की सोची समझी साजिश थी। मामले की विवेचना के बाद विद्याराम दिवाकर ने खीरी की निचली अदालत को यह जानकारी दी है। विवेचना के बाद घटना में शामिल आरोपियों पर पहले की कुछ धाराओं को हटा कर IPC की धारा 120b,307,34,326 समेत सशस्त्र अधिनियम की धाराएं जोड़ने का आग्रह किया गया है।
लखीमपुर के तिकुनिया में 8 लोगों की मौत हो गयी थी
बता दें कि यह घटना 3 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया में हुई थी जिसमें 8 लोगों की मौत हो गयी थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा समेत 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। फिलहाल सभी जेल में बंद हैं। विदित हो कि यूपी में लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में चार किसानों को एक एसयूवी कार से कुचल दिया गया था, जब वह एक कार्यक्रम में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लौट रहे थे।
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी मौजूद थे। घटना के बाद हुई हिंसा में भी कुछ लोग मारे गए। घटना के दौरान एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप भी मारे गए थे। किसानों ने आरोप लगाया था कि एसयूवी अजय मिश्रा टेनी की थी और उसमें उनका बेटा आशीष मिश्रा था।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की पहली सुनवाई आठ अक्टूबर को हुई थी। हिंसा के कई दिनों के बाद आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को 9 अक्टूबर कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।