आज कारगिल विजय दिवस को 22 साल पूरे हो गए हैं। आज के 22 साल पहले सन 1999 में भारतीय सेना के शेरों ने पाकिस्तान को परास्त कर दिया था। तीन महीने चले इस युद्ध में सेना ने देश का तिरंगा दुश्मनों की छाती पर लहराया, आज कारगिल इतिहास बन गया है। जब पाकिस्तान और भारत के बीच कारगिल को लेकर युद्ध हुआ था तब जनरल वीपी मलिक भारत के सैन्य प्रमुख थे।
इस मुश्किल युद्ध को जीतने के बाद भी मलिक को एक बात का आज भी मलाल है। वह कहते हैं सीजफायर का ऐलान करने से पहले ही भारत सरकार को अपनी सेना को एलओसी से सटे पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत दे देनी चाहिए थी।
उन्होंने कहा इस वार ने भारत और पाकिस्तान के रिश्ते को एकदम बदलकर रख दिया। हम युद्ध को जीत गए लेकिन सरकार हमे एलओसी से सटे पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत दे देती तो काफी बेहतर होता।
एक अधिकारिक अखबार से बातचीत करते हुए वीपी मलिक ने कहा कि ‘जब युद्ध शुरू हुआ तब हमें कुछ भी नहीं पता था और हम पाकिस्तान की ओर से अचानक पैदा की गई स्थिति का सामना कर रहे थे। खुफिया तंत्र और सर्विलांस के फेल्योर की वजह से सरकार के अंदर घुसपैठियों की पहचान को लेकर काफी भ्रम की स्थिति थी। हमारी फ्रंटलाइन फॉर्मेशन घुसपैठ का पता लगाने में नाकामयाब रही थी और हमें उनकी लोकेशन के बारे में कुछ पता नहीं था। कुछ समय बाद भारतीय सेना करगिल में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हुई, तब उन्हें (सरकार) संघर्षविराम पर राजी होने से पहले, हमें एलओसी से सटे कुछ पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत देनी चाहिए थी।’
उन्होंने आगे कहा कि इस हरकत के बाद भारत का पाकिस्तान पर से भरोसा पूरी तरह से उठ गया। भारत को अब पता था कि पाकिस्तान बड़ी ही आसानी से किसी भी समझौते को तोड़ सकता है। उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी यह बहुत बड़ा झटका था, जिन्हें यह समझने में थोड़ा वक्त लगा कि घुसपैठिए पाकिस्तानी आम नागरिक नहीं बल्कि वहां की सेना के जवान थे। वाजपेयी ने उस समय अपने पाकिस्तानी समकक्ष रहे नवाज शरीफ से कहा था, ‘आपने पीठ में छुरा घोंप दिया।’
साल 2008 में मुंबई में 26/11 हमले को लेकर पीवी मलिक ने कहा कि अगर पाकिस्तान फिर यह हरकत करता है तो केंद्र को उसे अच्छे से सबक सिखाना चाहिए। इससे पाकिस्तान में डर पैदा होगा।
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साल 1999 में 26 जुलाई को पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल में मिली जीत को लेकर भारत हर साल कारगिल विजय दिवस के रुप में मनाता है। यह देश की आन बान शान है। इसे ऑपरेशन विजय नाम दिया गया था। भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को जम्मू कश्मीर के कारगिल में करारी शिकस्त दी थी।
बता दें कि ये लड़ाई करीब 100 किलोमीटर के दायरे में लड़ी गई जहाँ करीब 1700 पाकिस्तानी सैनिक भारतीय सीमा के करीब 8 या 9 किलोमीटर अंदर घुस आए। इस पूरे ऑपरेशन में भारत के 527 सैनिक शहीद हुए थे और 1363 जवान घायल हुए थे।