प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को सोनिया गांधी के गढ़ रायबरेली में मॉडर्न कोच फैक्ट्री का दौरा करने वाले है। उनका यह दौरा उच्च गुणवत्ता वालें रेल डिब्बों के विनिर्माण और निर्यात बाजार क्षेत्र में काफी अहम माना जा रहा है।

इस प्रॉजेक्ट को मोदी सरकार अपनी फ्लैगशिप स्कीम ‘मेक इन इंडिया‘ की सफलता के उदाहरण के तौर पर पेश करती है। रेलवे के अधिकारियों का दावा है कि भारत अब बेहतरीन क्वॉलिटी के कोचों की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट के मार्केट में एंट्री के लिए तैयार है।

यही नहीं कोरिया, जापान, चीन, जर्मनी और ताइवान जैसे देशों ने फैसिलिटी सेंटर का दौरा भी किया है। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम इसके जरिए अन्य देशों के लिए भी मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर उभरने की उम्मीद कर रहे हैं।’

अधिकारी ने कहा, ‘कई देश भारत को कोचों के मामले में मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि भारत में चीन, अमेरिका और यूरोप के अन्य देशों के मुकाबले प्रॉडक्शन कॉस्ट खासी कम है।’

इसके चलते सरकार को चुनावी राजनीति में बढ़त मिलती दिख रही है। बता दें कि कांग्रेस मोदी सरकार की मेक इन इंडिया स्कीम को सिर्फ नारा करार देते हुए कहती रही है कि इससे जमीन पर कुछ नहीं हुआ है।

यहां पीएम मोदी जोर-शोर से इस बात का प्रचार कर सकते हैं कि सोनिया गांधी के गढ़ में बनी फैक्ट्री किस तरह से दुनिया में रेल कोच बनाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर है।

इस फैक्ट्री में उत्पादन का स्तर बीते 4 साल में 10 गुना तक बढ़ चुका है। 2014-15 में यहां 140 कोच तैयार हुए थे और 2018-19 में यह स्तर 1,422 तक पहुंच चुका है। अगले फाइनैंशल इयर तक यहां से 2,844 कोचों के प्रॉडक्शन का लक्ष्य है।

इसके अलावा प्रधानमंत्री 16 दिसंबर को ही राष्ट्रीय राजमार्ग 232 के पुनर्निर्मित 133 किलोमीटर लंबे रायबरेली मार्ग को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह मार्ग बुंदेलखंड, चित्रकूट, लखनऊ और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here