भारत के लिए पांच राफेल लड़ाकू विमान सोमवार को फ्रांस से रवाना हुए थे और अब वो संयुक्त अरब अमीरात के अल दफ्रा एयरबेस पर पहुंच गए हैं। विमानों को फ्रांस से यूएई पहुंचने में सात घंटे लगे। अब ये विमान अल दफ्रा एयरबेस से उड़ान भरेंगे और सीधे भारत के अंबाला में लैंड करेंगे। फ्रांस से भारत आ रहा 5 राफेल लड़ाकू विमानों का बेड़ा एयरफोर्स के 17वें स्क्वॉड्रन में तैनात होंगा। इस स्क्वॉड्रन को गोल्डन एरोज के नाम से जाना जाता है।

क्या है गोल्डन एरो की 17वें स्क्वॉड्रन की खासियत:-
17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन इतिहास के पन्नों में रचा हुआ है, 1999 में करगिल युद्ध के युद्ध के दौरान ऑपरेशन सफेद सागर के समय स्क्वाड्रन बठिंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थी उस वक्त एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ विंग कमांडर थे और इसी स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर थे। 27 मई 1999 को स्क्वाड्रन के लीडर अजय आहूजा मिशन पर थे, जब एक स्टिंगर मिसाइल ने उनके विमान को निशाना बनाया। स्क्वाड्रन लीडर आहूजा विमान से इजेक्ट कर गए थे, मगर वे शहीद हो गए थे। उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र सम्मान प्रदान किया गया था। युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इस स्क्वाड्रन की स्थापना 1 अक्टूबर 1951 में हुई। 2016 में भंग करने से पहले स्क्वाड्रन मिग-21 विमानों का संचालन कर रही थी, जिन्हें एयरफोर्स के बेड़े से अब धीरे-धीरे बाहर किया जा रहा है। अब राफेल विमानों का संचालन इस स्क्वाड्रन को ही सौंपा जाएगा, राफेल के लिए अम्बाला में अधिक चौड़ा रनवे, हैंगर और अन्य प्रबंध किए गए हैं।

पूर्वी लद्दाख में चीन से तनातनी के बीच दुनिया का सबसे ताकतवार लड़ाकू विमान राफेल 29 जुलाई को भारत पहुंच जाएगा। भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट 7000 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे। राफेल से भारतीय वायुसेना को जबर्दस्त ताकत मिलेगी क्योंकि पांचवी जेनरेशन के इस लड़ाकू जेट की मारक क्षमता जैसा लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान के पास नहीं हैं।

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