सुकमा में हुए नक्सल हमले ने पूरे देश को हिला के रख दिया है। देश के कुछ राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल समेत उत्तर पूर्व के राज्यों में नक्सल की समस्या से लोग आय दिन परेशान रहते है। नक्सलियों का दस्ता हमेशा जवानों की झुंड पर घात लगाए रखता है और मौका लगते ही उनपर हमला कर देता है। इसी तरह का एक हमला छत्तीसगढ़ के सुकमा मे हुआ जिसमें 26 जवान शहीद हो गए। जवानों की शहादत पर पीएम मोदी ने दु:ख जताते हुए आश्वासन दिया कि कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी।

जिस तरह उरी हमले के बाद भारतीय जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक की और आतंकियों के कैंपों को विध्वंस करते हुए दर्जनों आंतकियों को मौत के घाट उतार दिया। बिल्कुल उसी तर्ज पर अब केंद्र सरकार नक्सलियों से भी बदला लेने की योजना बना रही है। केंद्र सरकार घने जंगलों में नक्सलियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक आधुनिक रडार खरीदने की योजना बना रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रडार से छत्तीसगढ़ और अन्य क्षेत्रों के घने जंगलों में सक्रिय नक्सलियों की हरकतों पर नजर रखने में मदद मिलेगी।

इजराइल से भारत खरीदेगा आधुनिक रडार

FPR (Foliage Penetrating Radar) नाम का यह रडार पश्चिमी देशों समेत इजरायल में आतंकियों की जानकारी निकालने में काफी कामयाब साबित हुआ है। लिहाजा भारत इजराइल से इस एडवांस रडार को खरीदने की तैयारी कर रहा है। गौरतलब है कि अपने रक्षा उत्पादों के लिए इजराइल दुनियाभर में मशहूर है साथ ही भारत के साथ उसकी मित्रता भी काफी मजबूत है, इसलिए इजराइल इस मामले में भारत की मदद करेगा।

कैसे काम करेगा ये रडार

  1. रडार को अलग-अलग लोकेशन पर फिट किया जाएगा।
  2. रडार को एक सेन्ट्रल मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा।
  3. रडार किसी भी मूवमेंट को पकड़ने के साथ ही उस जगह की इमेज और वीडियो बनाकर सीधा कंट्रोल रूम तक पहुंचाएगा।
  4. इस तकनीक के सहारे नक्सलियों की लोकेशन और संख्या के साथ-साथ उनके पास मौजूद हथियार और गोला-बारूद की जानकारी भी कंट्रोल रूम को मिल जाएगी।

बता दें कि अभी भारतीय सुरक्षाबल नक्सलियों की मूवमेंट का पता लगाने के लिए UAV का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यूएवी की समस्या है कि वह घने जंगलों में उतना कारगर नहीं है। जिसका फायदा नक्सली उठाकर बड़े हमलों को अंजाम दे देते हैं, लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि इजराइल के इस अत्याधुनिक रडार की मदद से जवानों को सुकमा जैसे घने जंगलों में नक्सली मूवमेंट का पहले से ही पता चल जाएगा, जिससे जवान नक्सली हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे सकेंगे।

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