कर्नाटक के मशहूर Hoysala Temples अब शुमार होंगे World Heritage Site में UNESCO ने सौंपा Nomination

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Hoysala Temples: पूरी दुनिया में अपने खूबसूरत मंदिर (Temples) आकर्षक कलाकृतियों और अनूठी कहानियों को समेटे हुए कर्नाटक के होयसल मंदिर जल्‍द ही यूनेस्‍को (Unesco) की विश्‍व धरोहर स्‍थल (World Heritage Site) में शुमार हो जाएंगे। यूनेस्‍को की ओर से वर्ष 2022-23 की विश्‍व विरासत सूची में भारत के नामांकन के तौर पर इन्‍हें शामिल किया है।

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Hoysala Temples

World Heritage Site में Hoysala Temples बनेंगे भारत की शान

यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा ने सोमवार को औपचारिक रूप से होयसल मंदिरों का नामांकन यूनेस्को के विश्व धरोहर निदेशक लजारे एलौंडौ को सौंप दिया। डोजियर जमा करने के बाद तकनीकी जांच की जाएगी। होयसल के मंदिर जल्‍द ही देश की शान बनेंगे ।

रामप्पा मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल

यूनेस्को ने तेलंगाना (Telangana) के मुलुगू जिले के पालमपेट में स्थित ऐतिहासिक रुद्रेश्वर मंदिर को विश्व धरोधर की उपाधि प्रदान की है। इस मंदिर को रामप्पा नाम से भी जाना जाता है। रुद्रेश्वर मंदिर का निर्माण 1213 ई. में काकतीय साम्राज्य (Kaktiya Dynasty) के शासनकाल के दौरान कराया गया था। यह मंदिर रेचारला रुद्र ने बनवाया था जो काकतीय राजा गणपति देव के एक सेनापति थे। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है और मंदिर के अधिष्ठाता देवता रामलिंगेश्वर स्वामी हैं।

कमाल की है होयसल वास्‍तुकला

  • होयसल वास्तुकला 11वीं एवं 14वीं शताब्दी के बीच होयसल साम्राज्य के अंतर्गत विकसित एक वास्तुकला शैली है जोकि ज्‍यादातर दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में केंद्रित है।
  • होयसल मंदिर, हाइब्रिड या बेसर शैली के अंतर्गत आते हैं क्योंकि उनकी अनूठी शैली न तो पूरी तरह से द्रविड़ है और न ही नागर।
  • होयसल मंदिरों में खंभे वाले हॉल के साथ एक साधारण आंतरिक कक्ष की बजाय एक केंद्रीय स्तंभ वाले हॉल के चारों ओर समूह में कई मंदिर शामिल होते हैं और यह संपूर्ण संरचना एक जटिल डिज़ाइन वाले तारे के आकार में होती है।
  • इन मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये मंदिर एक वर्गाकार मंदिर के आधार पर प्रोजेक्शन कोणों के साथ बेहद जटिल संरचना का निर्माण करते हैं। जिससे इन मंदिरों का विन्यास एक तारे जैसा दिखने लगता है और इस तरह यह संपूर्ण संरचना एक तारामय योजना (Stellate-Plan) के रूप में जानी जाती है।
  • मंदिर शैलखटी (Steatite) चट्टानों से निर्मित हैं जो अपेक्षाकृत एक नरम पत्थर होता है जिससे कलाकार मूर्तियों को जटिल रूप देने में सक्षम होते थे। इसे विशेष रूप से देवताओं के आभूषणों में देखा जा सकता है जो मंदिर की दीवारों को सुशोभित करते हैं। ये अपने तारे जैसी मूल आकृति एवं सजावटी नक्काशियों के कारण अन्य मध्यकालीन मंदिरों से भिन्न हैं।

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