वाराणसी से करीब 25 किलोमीटर पर एक वीवीआईपी गांव है जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने गोद लिया है… ये गांव है जयापुर… जयापुर गांव आराजी ब्लॉक में पड़ता है…2011 की जनगणना के अनुसार जयापुर गांव की आबादी 3200 थी लेकिन 2017 तक ये 4200 के करीब पहुंच गई है, इस वक्त जयापुर आदर्श ग्राम में करीब 811 परिवार रहते हैं…

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गोद लिए गांव जयापुर में विकास कार्यों की हकीकत जानने के लिए जब हम पहुंचे तो गांव में प्रवेश के लिए एक सुंदर सा प्रवेश द्वार दिखा… इस द्वार को देख कर यकीन होता है कि ये प्रधानमंत्री का गोद लिया गांव है… गांव में प्रवेश करने पर अच्छी सड़क नजर आई… गांव की ज्यादातर मुख्य सड़कें भी बेहतर दिखी लेकिन हम जैसे-जैसे गांव के अंदर घुसते गए, सड़कें बदहाल होती गई… हालांकि गांव की अंदरुनी रास्तों में इंटरलॉकिंग सड़कें बनाई गई हैं लेकिन खराब गुणवत्ता और देख-रेख के अभाव में ये अब टूटने लगीं है…

जयापुर गांव के प्रवेश द्वार के पास ही बस स्टैंड में यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय बना है, जहां जयापुर के लोग बसों का इंतजार करते हैं… पिछली बार जब हमलोगों ने इस गांव का दौरा किया था तो यात्री प्रतीक्षालय अच्छी स्थिति में था लेकिन आज इसका हाल बुरा है… प्रतीक्षालय में लगी ज्यादातर कुर्सियां टूटी पड़ी है… यात्री शेड के पास पानी के लिए हैंडपंप लगाया गया था लेकिन पानी के निकासी की व्यवस्था के अभाव में यहां पानी भरा था…वहीं पुलिस बूथ भी महज शो पीस बना हुआ है

पीएम मोदी ने इस यात्री शेड को शानदार तरीके से बनवाया था… इस यात्री शेड को देख कर यकीन करना मुश्किल है कि ये किसी गांव का यात्री शेड है…कई शहरों में भी बड़ी मुश्किल से ऐसी यात्री शेड देखने के मिलते है… प्रधानमंत्री ने इस प्रतीक्षालय को बनवा तो दिया लेकिन इसकी देख रेख की व्यवस्था की जिम्मेदारी जिन पर थी उन्होंने अपने काम में लापरवाही बरती यहीं वजह है कि आज ये प्रतीक्षालय लाखों की लागत से बनने के बाद भी दुर्दशा का शिकार है…खैर ये तो जयापुर गांव साढ़े तीन साल में कितना आदर्श गांव बना, इस पड़ताल की शुरूआत थी… जैसे-जैसे हम आगे बढते गए कई अलग-अलग तस्वीरें सामने आती गई…

गांव में थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर हमें जयापुर का प्राथमिक स्कूल नजर आया… स्कूल की इमारत अच्छी थी, रंगरोगन भी सुंदर था… स्कूल को देखकर लगा कि ये सचमुच ये प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव का स्कूल है…जब हम यहां पहुंचे तब तक स्कूल में छुट्टी हो चुकी थी और बच्चे घर निकलने की तैयारी में थे… इसी बीच हमें जो तस्वीर नजर आई उसने स्कूल की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया…छुट्टी होने पर क्लास रूम में बच्चे ताला लगा रहे थे… क्लस रूम और शौचालय में ताला लगाने की जिम्मेदारी बच्चों को दी गई थी… अब यहां पढ़ाई करने वाले बच्चे पढ़ाई के अलावा चपरासी की भी भूमिका निभा रहे थे

जब हमने प्राथमिक पाठशाला के रसोई घर में ताका झांकी की तो यहां भी अव्यवस्था नजर आई…स्कूल की रसोई में प्रधानमंत्री के महत्वकांक्षी उज्जवला योजना को लकड़ियों पर जलता देखा… कहने को तो यहां खाना बनाने के लिए गैस सिलेंडर रखे हुए थे लेकिन खाना लकड़ी के चूल्हे पर बनाई जा रही थी…

जयापुर में प्राइमरी स्कूल तो है लेकिन इंटर और डिग्री कॉलेज नहीं होने से गांव के बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है…इस गांव को प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए जाने के बावजूद यहां इंटर और डिग्री कॉलेज नहीं खोला जा सका है…जयापुर गांव में प्राथमिक के बाद की पढ़ाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के सबसे बड़ा खामियाजा यहां की लड़कियों को उठाना पड़ता है… ऐसे में मोदी का पढ़े बेटियां, बढ़े बेटियां का नारा उन्हीं के गोद लिए गांव में फेल होता नजर आया…

एक आदर्श गांव में लोगों के लिए डाकघर की व्यवस्था होनी चाहिए जो कि जयापुर में मौजूद है… पीएम मोदी की कोशिशों से जयापुर में डाकघर खुला है जो लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहा है… पोस्ट ऑफिस की दीवार पर बचत की कई योजनाओं की जानकारी को उकेरा गया है और ये जानकारी से लोग लाभान्वित भी हो रहे है… जयापुर आदर्श गांव में बैंक भी खोला गया है हालांकि जिस दिन हम यहां पहुंचे तो उस दिन छुट्टी होने की वजह से बैंक बंद था… हालाकि बैंक का पास एटीएम की भी व्यवस्था है लेकिन जिस तरह से देश भर की ज्यादातर एटीएम इस वक्त कैश की किल्लत से जूझ रही है उसी तरह जयापुर का ये एटीएम भी खाली पड़ा था और लोग परेशान थे

प्रधानमंत्री मोदी ने अक्टूबर 2014 में जयापुर को गोद लिया था यानि इस गांव को गोद लिए करीब साढ़े तीन साल गुजर गए हैं लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में ये गांव आज भी आदर्श नहीं बन सका है… जयापुर गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की कोई व्यवस्था नहीं है… हालांकि जयापुर में 28 अप्रैल 2017 को स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने की आधारशिला रखी गई… जिसे 27 अगस्त 2017 तक बन कर तैयार हो जानी चाहिए थी लेकिन अंतिम तिथि बीत जाने के बावजूद ये स्वास्थ्य केन्द्र बनकार तैयार नहीं हो पाया है

अस्पताल नहीं होने से गांव के लोगो को स्वास्थ सेवाओं के लिए तीन किलोमीटर दूर जख्नी स्वास्थ्य केंद्र में जाना पड़ता है…

अस्पताल के अलावा इस वक़्त पीने का पानी जयापुर के लोगों के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है… प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पानी की टंकी बनवाई है, पाइप भी बिछा दी गई है ,लेकिन जल निगम की लापरवाही से नलों में पानी नहीं आ रहा है, जिसके चलते गर्मी में गांव के लोग बेहाल है।

​जयापुर में स्वच्छ भारत अभियान के तहत सभी घरो में शौचालय का निर्माण किया गया है… लोग अपने घरों में इसका इस्तेमाल भी कर रहे है लेकिन सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बद से बदतर हो गई है… शौचालयों के दरवाजे टूट गए है… ख़ास तौर पर फाइबर के बने दरवाजों का तो और भी बुरा हाल है… शौचालय के इन दरवाजों को निजी कंपनियों ने लगवाया है लेकिन यहां भी भ्रष्टाचार की बू आ रही है… जर्जर हो जाने की वजह से लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं

जयापुर में अधुनिक जीवन की बुनियादी जरूरतों में से एक बिजली की व्यावस्था अच्छी नजर आई… गांव के दो छोर पर 25 किलोवाट के दो सोलर प्लांट लगे है जो गांव की बिजली जरुरत को पूरी करते है… पूरे गांव में जगह-जगह सोलर लाइट लगाई गई है वहीं सभी घरों में विजली कनेक्शन भी पहुंचांया गया है…

जयापुर गांव में रोजगार पैदा करने की भी व्यवस्था की गई हैं…खादी ग्रामोद्योग की तरफ से चरखा और सिलाई केंद्र चलाया जा रहा है , इन चरखा केन्दों में आधुनिक मशीने लगाई गई है जिसमें करीब 75 महिलाओं को रोज़गार मिला है और ये महिलाएं औसतन 100 रूपया रोज़ कमा लेती है

आदर्श गांव की बुनियादी शर्तों में वाई-फाई कनेक्शन भी शुमार है…इसलिए वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी ने जयापुर में वाई-फाई की व्यवस्था की… पीएम मोदी को उम्मीद थी कि वाई-फाई का इस्तेमाल कर जयापुर के लोग देश-दुनिया से जुड़ कर संचार–क्रांति का हिस्सा बन सकेंगे… लेकिन हमारी पड़ताल में पीएम मोदी का सपना जयापुर में टूटता दिखा… गांव में भले ही वाई-फाई लग गया हो लेकिन वो काम नही कर रहा है

वहीं प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर जयापुर में सेब की बागवानी करने की कोशिश की जा रही है… करीब सत्तर सेब के पौधों को गांव में लगाया गया… लेकिन सेब की बागवानी के अनुकूल मौसम नहीं होने की वजह से ज्यादातर सेब के पौधे सूख गए…

इन सबके बीच गांव में बन अटल नगर की खूबसूरती इस गांव को अलग पहचान देती है… अटल नगर पहुंचकर सारी थकान दूर हो गई…. गरीबों के लिए आवासीय सुविधाएं मुहैया कराने के लिए बनाए गए “मोदी जी का अटल नगर” बड़ा ही व्यवस्थित नजर आया… आधुनिक सुविधा से युक्त छोटी सी कॉलेनी जिसमें एक कतार में कई घर है… इन घरों में 14 आदिवासी परिवार रहते हैं… यहां खूबसूरत बागवानी भी है और रोशनी के लिए सोलर लाइट्स भी लगाई गई है…

हालांकि गांव के कई लोग आज भी जयापुर में हुए विकास कार्य से संतुष्ट नजर नहीं आए… प्रधान मंत्री मोदी के गोद लिए गांव के विकास के बारे में जब हमने रोहनिया के विधायक से पूछा तो ,उनका कहना था विकास का काफी काम हुआ है लेकिन लोगों की पीएम मोदी से अपेक्षाएं बेहद ज्यादा है इसलिए विकास का काम कम लग रह है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जयापुर में काफी विकास कार्य हुआ है… गांव वालों को वाराणसी सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई सौगाते दी हैं… लेकिन जिस रफ्तार से विकास कार्य होना था वो नहीं हो सका और जो विकास कार्य हुआ भी उसकी देख-रेख में जिम्मेदार संस्था लापरवाही बरत रहे हैं… यहीं वजह है कि इतने काम होने के बावजूद जयापुर के लोगों को अच्छे दिन का अहसास नहीं हो पा रहा है

—पीयूष रंजन

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