सुरक्षा मामलों की संसदीय समिति ने बुधवार को संसद में रिपोर्ट पेश करते हुए नाराज़गी जताई है। समिति का कहना है कि सरकार न तो आतंकी हमले रोक पा रही है और न ही पठानकोट में हुए हमले से कुछ सबक लिया है। पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम की समिति ने पठानकोट हमले की जांच पर सवाल खड़े किए हैं। समिति ने राज्यसभा में एक रिर्पोट पेश की, इसमें गृह मंत्रालय के काम करने के तरीके पर भी कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

APNसमिति ने सरकार से इस बात पर जवाब मांगा है कि हमले की जानकारी खुफिया एजेंसियों के पास होने के बावजूद इसे रोक ना पाने की क्या वजह थी? एक साल बाद भी पठानकोट हमले की जांच पूरी क्यों नहीं हो पाई? संसदीय समिति ने पाकिस्तान से आई ज्वांइट इन्वेस्टिगेशन टीम को लेकर भी सवाल खड़े किए है। समिति का कहना है कि जब पाकिस्तानी जेआईटी को भारत में आने की इजाजत दी गयी थी तब क्या पड़ोसी देश से यह भरोसा लिया गया था कि वह भी जांच के लिए एनआईए की टीम को आने की इजाजत देगा?

समिति का यह भी मानना है कि सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद आतंकवादी हमलों को रोक पाने में नाकामयाब रही है। जम्मू-कश्मीर में ही पंपोर, बारामूला, हंदवाड़ा और नगरोटा में कई हमलें हुए है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस समय देश की सुरक्षा में बहुत  कमियां हैं। सरहद पर लाइट्स और बीएसएफ का पहरा होने के बावजूद आतंकी भारत में कैसे घुस गए? समिति एक और सवाल पर जोर दिया है। यह भी समझ नहीं आ रहा कि आतंकियों ने एसपी और उसके दोस्त को अगवा करने के बाद क्यों छोड़ दिया? एनआईए को इसकी भी कड़ी जांच करनी चाहिए। गृह मंत्रालय के कामकाज को लेकर सुरक्षा समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि जांच एजेंसियों को नार्को सिंडिकेट, जो सरहदी इलाकों में सक्रिय है, उसकी भी जांच करनी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here