प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिख समुदाय को आज एक बार फिर आश्वस्त किया कि उनकी सरकार 1984 के सिख दंगों के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाकर रहेगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। मोदी ने यहां अपने निवास पर सिखों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह की जयंती पर 350 रूपये का स्मारक सिक्का जारी किया। इस मौके पर वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने गुरू गोबिंद सिंह की मानवता की निस्वार्थ सेवा भावना, समर्पण, बहादुरी और बलिदान की सराहना की और उनके बताये हुए रास्ते पर चलने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सिख दंगों के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा , “ गुरु गोबिंद सिंह जी हों या फिर गुरु नानक देव जी, हमारे हर गुरु ने न्याय के साथ खड़े होने का सबक दिया है। उनके बताए मार्ग पर चलते हुए आज केंद्र सरकार 1984 में शुरु हुए अन्याय के दौर को न्याय तक पहुंचाने में जुटी है। दशकों तक माताओं ने, बहनों ने, बेटे-बेटियों ने, जितने आंसू बहाए हैं, उन्हें पोंछने का काम, उन्हें न्याय दिलाने का काम अब कानून करेगा।”

उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से करतारपुर कॉरीडोर का काम शुरू हुआ है और अब श्रद्धालु गुरूद्धारा दरबार साहिक के दर्शन कर पायेंगे। उन्होंने कहा ,“ केंद्र सरकार के अथक और अभूतपूर्व प्रयास से करतारपुर कॉरीडोर बनने जा रहा है। अब गुरु नानक के बताए मार्ग पर चलने वाला हर भारतीय, हर सिख, दूरबीन के बजाय अपनी आंखों से नारोवाल जा पाएगा और बिना वीजा के गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन कर पाएगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “ अगस्त 1947 में जो चूक हुई थी, यह कॉरिडोर उसका प्रायश्चित है। हमारे गुरु का सबसे महत्वपूर्ण स्थल सिर्फ कुछ ही किलोमीटर से दूर था, लेकिन उसे भी अपने साथ नहीं लिया गया। ये कॉरिडोर उस नुकसान को कम करने का एक प्रमाणिक प्रयास है।” मोदी ने कहा कि देश में पिछला वर्ष गुरु गोबिंद सिंह की 350 वीं जयंती वर्ष के रूप में मनाया गया था। सिख पंथ के इस महत्वपूर्ण अवसर को और यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक 350 रुपये का स्‍मृति सिक्‍का देशवासियों को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह का सिक्‍का सबके दिलों पर सैकड़ों सालों से चला आ रहा है और आगे भी कई सौ सालों तक चलने वाला है। उन्होंने कहा , “ गुरू गोबिंद का जीवन कृतित्व एक मूल्य बन करके हमारे जीवन को चलाता रहा है, हम लोगों को प्रेरणा देता रहा है, उसको सदैव याद रखने का हम एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। यह उनके प्रति आदर एवं श्रद्धा व्‍यक्‍त करने का एक छोटा सा प्रयास भर है और इसके लिए हम सभी एक संतोष की अनुभूति करते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरू गोबिंद सिंह जितने अच्छे योद्धा थे उतने ही बेहतरीन कवि और साहित्यकार भी थे। अन्याय के विरुद्ध उनका जितना कड़ा रुख था, उतना ही शांति के लिए आग्रह भी था। मानवता की रक्षा के लिए, राष्ट्र की रक्षा के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, उनके सर्वोच्च बलिदान से देश और दुनिया परिचित है। उन्होंने कहा, “ हज़ारों संतानों की रक्षा के लिए अपनी संतान को, अपने वंश का ही बलिदान जिसने दे दिया। राष्ट्र की रक्षा के लिए, धर्म की रक्षा के लिए, त्याग और बलिदान का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है।” सरकार ने फैसला किया है कि यह प्रकाशोत्सव देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तो मनाया ही जाएगा, पूरे विश्वभर में हमारे सभी दूतावासों में भी इस समारोह का आयोजन होगा।

मोदी ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति उसकी महिमा को उज्जवल करती है। संस्कृति को समृद्ध करना और उसका प्रचार-प्रसार करना हमेशा से दुनिया की शक्तिशाली सभ्यताओं की प्राथमिकताओं में रहा है। यही कोशिश बीते साढ़े 4 वर्षों से केन्द्र सरकार कर रही है। सरकार देश की सांस्कृतिक और ज्ञान की विरासत को दुनिया के चप्पे-चप्पे तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। योग से लेकर आयुर्वेद तक अपनी प्रतिष्ठा को पुन: प्रस्थापित करने में देश सफल हुआ है और यह काम निरंतर जारी है। उन्होंने कहा कि आज के पवित्र दिन गुरू गोविंद सिंह के दिखाए 11 सूत्रीय मार्ग पर चलने का फिर से संकल्प लेने की ज़रूरत है। भारत अब एक सशक्त राष्ट्र के रुप में स्थापित होने की राह पर चल पड़ा है ऐसे में इस संकल्प को और सशक्त करने की आवश्यकता है।

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