बिहार सरकार अपने खिलाफ होने वाले विरोधी की तैयारी अभी से कर रही हैं। विरोधियों को दबाने के लिए सरकार नए-नए कानून बना रही है। नीतीश बाबू ने ऐलान किया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरता है तो उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।

नीतीश कुमार सरकार ने मंगलवार को एक नया फरमान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि अगर राज्य में कोई प्रदर्शन करता है तो फिर पुलिस के द्वारा उसका आचरण प्रमाण पत्र खराब किया जा सकता है।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसके सिंघल की ओर से जारी किए गए इस फरमान में कहा गया है कि सरकारी ठेका, सरकारी नौकरी, हथियार का लाइसेंस और पासपोर्ट के लिए पुलिस सत्यापन प्रतिवेदन लेना आवश्यक है।

इस पत्र में डीजीपी एसके सिंघल ने कहा है कि यदि कोई राज्य में प्रदर्शन के दौरान अपराधिक घटना को अंजाम देता है और ऐसा करने के लिए अगर पुलिस द्वारा उसे चार्जशीट किया जाता है तो इसके बारे में संबंधित व्यक्ति के चरित्र सत्यापन प्रतिवेदन में इस बात का जिक्र होना चाहिए।

बता दें कि, नीतीश सरकार के अनुसार यदि कोई भी नागरिक आंदोलन, सड़क जाम, चक्का जाम जैसे कार्यों में भाग लेता है साथ ही किसी आपराधिक कार्य में संलिप्त होता है तो उसके खिलाफ पुलिसिया कार्यवाही होगी। इस तरह के लोगों को खतरनाक परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।

सरकार के आदेश के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार को मुसोलिनी और हिटलर करार दिया है। तेजस्वी ने ट्वीट कर लिखा, “मुसोलिनी और हिटलर को चुनौती दे रहे नीतीश कुमार कहते हैं कि अगर किसी ने सत्ता व्यवस्था के विरुद्ध धरना प्रदर्शन कर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया तो आपको नौकरी नहीं मिलेगी। मतलब नौकरी भी नहीं देंगे और विरोध प्रकट भी नहीं करने देंगे। बेचारे 40 सीट के मुख्यमंत्री कितने डरे हैं।”

बता दें कि, इसके पहले बिहार सरकार ने सोशल मीडिया के जरिए हमला करने वालों पर सिकंजा कसा था। इस कानून के तहत यदि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी अधिकारी या नेता के लिए अभद्र टिप्पणी करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी।

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