कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद चारों तरफ घमासान मचा हुआ है। बीजेपी और कांग्रेस सत्ता पर काबिज होने के लिए गुणा-गणित लगाने लगे हैं। ऐसे में राज्यपाल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि अब यह फैसला उनपर है कि वो किस पार्टी को अपना बहुमत दिखाने के लिए सबसे पहले बुलाएंगे। ऐसे में कांग्रेस और जेडीएस का कहना है कि चूंकि गठबंधन होने के बाद सबसे ज्यादा सीट उनके पास है तो नियमानुसार उन्हें ही सरकार बनाने के लिए बुलाया जाए। वहीं कांग्रेस का ये भी कहना है कि राज्यपाल किसी संघ और पार्टी का आदमी नहीं होता, इसलिए उन्हें संविधान की मर्यादा का ख्याल करते हुए नियम के अनुसार फैसला लेना चाहिए।

इसी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी गुस्से में हैं। आजाद ने कहा है कि बीजेपी उनके विधायकों को धमका रही है. उन पर दबाव बना रही है, उसे लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। आजाद  ने कहा कि अगर राज्यपाल ने संवैधानिक मूल्यों का पालन नहीं किया और हमें सरकार बनाने के लिए निमंत्रित नहीं किया तो यहां खूनी संघर्ष होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायकों के असंतुष्ट होने की अफवाहें फैलाई जा रही हैं, लेकिन वास्तव में बीजेपी असंतुष्ट है।

कांग्रेस विधायकों का भी बयान आने लगा है। उन्होंने बीजेपी पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया है। कांग्रेस विधायक अमरेगौड़ा ने कहा है कि बीजेपी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। अमरेगौड़ा लिंगनागौड़ा पाटिल बयापुर कर्नाटक के कुश्तगी से विधायक हैं। आजाद ने कहा कि राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है। बीजेपी के पास 104 सीटें हैं, हमारे (कांग्रेस-जेडीएस) पास 117 सीटें हैं। राज्यपाल पक्षपाती नहीं हो सकते हैं।

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