बलात्कार मामले में फंसे उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता गायत्री प्रजापति को पॉस्को कोर्ट ने जमानत दे दी है। उनके दो साथी पिंटू और विकास को भी कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है। गायत्री के खिलाफ एक युवती ने बलात्कार को केस दर्ज कराया था। युवती का आरोप था कि गायत्री ने उसके  साथ जमीन दिलवाने के नाम पर बलात्कार किया था।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए है। बता दें कि पीड़िता ने गायत्री प्रजापति पर उसकी नाबालिग बेटी से रेप की कोशिश का आरोप भी लगाया था। मामले से जुड़े दो लोगों को एसटीएफ ने नोएडा से गिरफ्तार किया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।

पीड़ित महिला के वकील मो. प्राचा ने बताया, ‘जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने प्रजापति को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। विक्टिम की फैमिली ने सुप्रीम कोर्ट में पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपील को अनुमति दे दी और मामला खत्म कर दिया गया। इस मामले से जुड़े दो और लोगों को एसटीएफ ने पिछले हफ्ते नोएडा से गिरफ्तार किया था।’

गायत्री के वकील सुनील सिंह ने कहा, ‘कोर्ट ने गायत्री और दो अन्य आरोपियों को एक-एक लाख के बॉन्ड और एक-एक लाख के मुचलके पर जमानत दी। महिला ने जो आरोप लगाए, उसके सबूत नहीं दे पाई है और उनका मेडिकल भी कभी नहीं हुआ है। लड़की के बयान आरोपों के बिलकुल उलट हैं। लड़की ने न्यायधीश के सामने बयान में कहा कि मैं गायत्री को नहीं पहचानती हूं और मेरे साथ रेप नहीं किया गया।’

गौरतलब है कि पीड़िता के मुताबिक, साल 2014 में नौकरी और प्लॉट दिलाने के बहाने उसे गायत्री प्रजापति ने लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर बुलाया गया था। वहां चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया तभी वह बेहोश हो गयी। बेहोशी की हालत में गायत्री और उसके साथियों ने बलात्कार किया और अश्लील वीडियो बनाते हुए तस्वीरें भी ली थीं।

पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वीडियो और तस्वीरों के जरिए गायत्री और उसके साथी साल 2016 तक पीड़िता और उसकी बेटी के साथ बलत्कार करते रहे। इससे तंग आकर उसने 7 अक्टूबर 2016 को थाने में तहरीर दी।

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