देशभर में बच्चों के साथ यौन अपराधों के बढ़ते मामलों और इनके निपटारे में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत लंबित मामलों के निपटारे के लिए सभी राज्यों को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

मंगलवार (1 मई ) को मामले की सुनवाई को दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट से संबंधित केसों के लंबित रहने पर भी चिंता जाहिर की है। पॉक्सो एक्ट मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसके तहत सभी मामलों का फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये निपटारा किया जाए, निचली अदालत में पॉस्को एक्ट संबंधी मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट बने और निचली अदालत में जज पॉक्सो एक्ट संबंधी मामलों को लेकर फास्ट ट्रैक सुनवाई करेंगे और सुनवाई को टाला ना जाए। सभी राज्यों के हाईकोर्ट, तीन जजों की एक कमिटी बनाएंगे जो निचली अदालत में चल रहे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट को मॉनिटर करेगी। सभी राज्यों के DGP एक टीम बनाएंगे जो पॉक्सो एक्ट संबंधी मामलों की जांच करेगी और सुनिश्चित करेगी कि गवाह सुनवाई के दौरान अदालत में पेश हों।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट से ब्यौरा मांगा था कि हर जिले में पॉक्सो एक्ट के कितने मामले ट्रायल कोर्ट में लंबित हैं और उनके पूरा होने में कितना वक्त लगेगा। मंगलवार (1 मई ) को 28 प्रदेशों का डेटा कोर्ट के सामने रखा गया जिसमें बताया गया कि पॉक्सो एक्ट के तहत किस स्टेज में कितने मामले लंबित हैं। 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का डेटा मिल सका है। हाईकोर्ट की रिपोर्टों के मुताबिक 25 राज्यों में 1,12,628 केस लंबित हैं जिनमें से यूपी में सबसे ज्यादा 30,884 केस हैं जिनमें 58.55 फीसदी केस सबूत पेश करने के चरण में हैं। जबकि महाराष्ट्र, गोवा, दमन-दीव व दादर और नगर हवेली में 16,099 और मध्य प्रदेश में 10,117 केस लंबित हैं…दिल्ली में 6,100 लंबित केस हैं जिनमें 4,155 अभियोजन द्वारा सबूत पेश करने के चरण में हैं।

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