उत्तराखंड की सत्ता संभाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को 13 महीने हो चुके हैं…इस दौरान वो लगातार कड़े फैसले ले रहे हैं…वहीं दूसरी तरफ सीएम विधायकों और अधिकारियों के साथ-साथ अपने मंत्रियों के कामकाज पर भी नजर बनाये हुए हैं…लेकिन इन सबके बीच में आए दिन छन-छन के मंत्रियों और सरकार बीच के मतभेद की खबरें भी सामने आ रही हैं…खासतौर पर पर्यटन मंत्री सपताल महाराज के साथ तनातनी की खबरें लगातार सामने आईं हैं…कांग्रेस से बीजेपी में आए सपताल महाराज सूबे के पर्यटन मंत्री हैं…यह भी सामने आता रहा है की बहुत कम कार्यक्रमों में दोनों एक साथ दिखते हैं…अब चीड़ के पेड़ो को लेकर तनातनी की नई वजह सामने आई है…प्रदेश सरकार ने चीड़ के पेड़ो को लेकर कैबिनेट बैठक में एक प्रस्ताव पास किया है…जिसके तहत उर्जा के लिए चीड़ के पेड़ों का इस्तेमाल किया जायेगा…उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने इसकी तस्दीक की…

एक तरफ त्रिवेंद्र सरकार उर्जा के क्षेत्र में चीड़ के पेड़ों का इस्तेमाल करने के लिए रोड़मैप तैयार कर रही है…वहीं दूसरी तरफ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज चीड़ के पेड़ों को ही प्रदेश से हटाने की बात कर रहे हैं…ऐसे में मतभेद खुलकर दिख रहे हैं…

चीड़ के पेड़ों के बहाने सतपाल महाराज ने सीधे-सीधे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार और बीजेपी को ही चुनौती दे दी है…सियासत में हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस इसी ताक में थी…उसे बैठे बिठाये त्रिवेंद्र सरकार की कमजोरी से उस पर हमले का मौका हाथ लग गया…पीसीसी उपाध्यक्ष जोत सिंह विष्ट ने कहा कि, सरकार में बड़े स्तर पर असंतोष है…

वहीं बीजेपी प्रवक्ता शादाब शम्स ने त्रिवेंद्र रावत सरकार में मतभेदों की बात से साफ इनकार किया है…

केंद्र में और सूबे में बीजेपी की सरकार है…ऐसे में विकास की गति कम से कम चौगुनी नहीं तो दोगुनी तो होनी ही चाहिये…लेकिन, बीजेपी ने सत्ता के लिए कई बाहरी नेताओं को भगवा गमछा तो ओढ़ा दिया…लेकिन, दल-बदल कर बीजेपी में आए पूर्व कांग्रेसी और सरकार के अहम मंत्री सतपाल महाराज का दिल नहीं बदला…नतीजा, सतपाल महाराज अपने मतभेदों वाले बयानों से त्रिवेंद्र सरकार की फजीहत तो करवा ही रहे हैं…जबकि, उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि, शानदार बहुमत वाली बीजेपी कभी उनकी बातों को एक सीमा से ज्यादा तवज्जों नहीं देने वाली…

 —कुमार मयंक,  एपीएन

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