Farm Laws वापस लिए जाने से कयास लगाए जाने लगे हैं कि अगले साल होने वाले पंजाब चुनाव में अकाली दल और बीजेपी फिर से साथ आ सकते हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अकाली दल ने किसानों के आंदोलन को देखते हुए ही बीजेपी का साथ छोड़ा था। अब कानूनों की वापसी से ये दोनों पार्टियां फिर से साथ आ सकती हैं।
अकाली दल
अकाली दल इस समय कांग्रेस की आंतरिक कलह का फायदा उठाना चाहता है। साथ ही पार्टी के ऊपर अब तक ये दबाव था कि उसने कृषि कानूनों का उतना विरोध नहीं किया जितना कि करना चाहिए था। कानून वापसी से अकाली दल के ऊपर से ये दबाव हट गया है। कहीं न कहीं पार्टी अगले साल चुनाव में राज्य के किसानों को बताना चाहेगी कि उसने कैसे बीजेपी पर कानून वापस लेने के लिए दबाव बनाया।
कैप्टन अमरिंदर सिंह
इन कानूनों को वापस लेने में कहीं न कहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा बनाया गया दबाव भी वजह माना जा रहा है। बीजेपी अगले साल पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अपना भविष्य देख रही है। ऐसे में कैप्टन की ओेर से भी कहा गया होगा कि केंद्र पहले कृषि कानून वापस ले तब जाकर राज्य में कोई समीकरण बनाया जा सकेगा।
कांग्रेस और AAP को नुकसान
कृषि कानूनों की वापसी से अगर किसी को नुकसान हुआ है तो वह कांग्रेस और AAP है। दोनों पार्टियां अब तक पंजाब के किले की हिफाजत इस बिनाह पर करने पर जुटी हुई थीं कि बीजेपी किसान विरोधी है। कृषि कानूनों की वापसी से केंद्र ने कांग्रेस और AAP से एक चुनावी मुद्दा छीन लिया है।
कृषि कानूनों के चलते सब बीजेपी से कर रहे थे किनारा
पंजाब में अपने राजनीतिक भविष्य को ध्यान में रखते हुए भी बीजेपी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। चाहे अकाली दल हो या अन्य छोटे दल सभी बीजेपी से दूरी बना रहे थे कि उनका बीजेपी से कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में अगले साल पंजाब चुनाव में बीजेपी आसानी से किसी भी दल के साथ गठबंधन कर सकेगी।
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