देश में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का हाल क्या है, ये किसी से छिपा नहीं है। न सरकार से और न ही जनता से। हाल ये है कि महंगी फीस के बावजूद प्राइवेट स्कूलों का जो तथाकथित स्टेटस बना हुआ है उस तक अभी भी हमारे सरकारी स्कूल नहीं पहुंच पाए हैं। यही कारण है कि पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था भी एक स्टेटस बन चुका है जहां निम्न  और उच्च वर्ग के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। लेकिन देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इसको पाटने में लगे हैं। उनमें से छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के डीएम अवनीश शरण भी हैं जिन्होंने न सिर्फ अपनी बेटी का एडमिशन एक सरकारी स्कूल में करवाया है बल्कि वो अपनी बेटी के साथ बेठकर मिड-डे मील भी खा रहे हैं। अपनी बेटी के साथ मिड-डे मील खाते डीएम की फोटो इन दिनों खूब वायरल हो रही है।

बता दें कि  अवनीश कुमार शरण हमेशा से ही शिक्षा के स्तर को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं। इन्होंने न तो कभी शिक्षा में लापरवाही बर्दाश्त की और न ही कभी शिक्षकों को कोताही बरतने दी है। इसे लेकर वे राजधानी में भी अपनी पदस्थापना के दौरान सुर्खियों में रहे हैं। इससे पहले भी वो खबर में आ चुके हैं जब उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन सरकारी स्कूल में करवाया था। उनका कहना है कि  “ये बात मीडिया के लिए एक खबर हो सकती है, लेकिन मेरे लिए तो सिर्फ एक कर्तव्य है। इस पहल से हो सकता है कि लोग सरकारी स्कूलों की शिक्षा से जुड़ें.”

उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन  प्रज्ञा प्राथमिक शाला में करवाया था।  इससे पहले उन्होंने अपनी बच्ची को एक साल तक आंगनबाड़ी में पढ़ने के लिए भेजा था। बता दें कि 2015 में शिक्षा व्यवस्था को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक बड़ा फैसला आया था जिसमें राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि सभी नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारियों के लिए उनके बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पढ़वाना अनिवार्य किया जाए। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ऐसी व्यवस्था की जाए कि अगले शिक्षा-सत्र से इसका अनुपालन सुनिश्चित हो सके। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शिवकुमार पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही थी। लेकिन इस आदेश का क्या हुआ कुछ पता नहीं। आज कितने अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं यह भी किसी को खबर नहीं। शिक्षा व्यवस्था पर जब सवाल उठता है तो सबकी चिंता जाग उठती है और वो चिंता मीडिया में भी सुनाई देने लगती है।

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