यूपी निकाय चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद भाजपा एक बार फिर विरोधी पार्टियों के निशाने पर आ गई है। चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही विपक्ष भाजपा को ईवीएम में गड़बड़ी करने का ताना मार रही है। निकाय में दो सीटों पर कब्जा जमाकर अपनी साख बचाने में सफल बीएसपी सुप्रीमो मायावती अपनी जीत से खुश नजर नहीं आ रही है।

शनिवार को मायावती लखनऊ में डॉ भीमराव अम्बेडकर को बौद्ध दीक्षा दिलाने वाले भिक्षु प्रज्ञानंद के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंची। जहां मायावती ने भाजपा पर धोखाधड़ी से चुनाव जीतने का आरोप लगाया। उनका कहना था, कि बीजेपी कभी अपनी गलत हरकतों से बाज नहीं आ सकती। बीजेपी को सिर्फ धोखे और चालबाजी से चुनाव जीतना आता है। मायावती ने कहा- बीएसपी मेयर पद की 2 सीटों पर दर्ज की गई जीत से बहुत खुश है क्योंकि ये जनता के प्यार और विश्वास से मिली है।  लेकिन अगर भाजपा द्वारा ईवीएम मशीन में गड़बड़ी नहीं की जाती तो इस बार निकाय में बीएसपी इससे भी ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करती।

बैलेट पेपर से चुनाव की मांग-

मायावती ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, बीजेपी को सबसे ज्यादा डर बीएसपी से ही लगता है क्योंकि बीएसपी के काम जनता को सबसे ज्यादा पसंद आते है। बीजेपी को इस बात का भी डर था कि कही निकाय चुनाव में बसपा से हार न जाए, इसलिए चुनाव ईवीएम से कराए। ये मेरी खुली चुनौती है कि अगर चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाए, तो बीजेपी की पोल सबके सामने खुल जाएगी और भाजपा बुरी तरह से हारेगी।

दिनेश शर्मा ने साधा मायावती पर निशाना-

मायावती ने भाजपा की जीत को चालबाजी का नाम दिया। उनका कहना था कि अगर 2019 में लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाए तो बीजेपी का पत्ता हमेशा के लिए साफ हो जाएगा। मायावती की ये बात उपमुख्‍यमंत्री दिनेश शर्मा को पसंद नहीं आई, जिसके बाद उन्होंने इस बात का जवाब देते हुए मायावती को बददिमाग कहा। उनका कहना था कि खराबी ईवीएम मशीन में नहीं बल्कि भाजपा का विरोध कर रहे लोगों के दिमाग में हैं। भाजपा ने जनता के प्यार से ये चुनाव अपने पक्ष में किया है। लेकिन विपक्षी पार्टियों को भाजपा की ये जीत रास नहीं आ रही हैं, इसलिए अब वो ऐसी मनगढ़त बाते बनाकर लोगों की सहानुभूति जीतना चाहती हैं।

16 में से 14 सीटों पर बीजेपी मेयर काबिज-

उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में भाजपा ने भारी बहुमत से चुनाव जीतकर एक बार फिर अपनी जीत का डंका बजा दिया। महापौर की 16 सीटों में से 14 सीटें भाजपा के पक्ष में रही, जबकि सिर्फ अलीगढ़ और मेरठ सीटों पर ही बसपा अपना सिक्का जमाने में कामयाब रही। महापौर चुनाव में सपा और कांग्रेस को बस मुहं की खानी पड़ी, दोनों पार्टी अपना खाता खोलने में असमर्थ रही

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