Death Anniversary Special: Bal Thackeray खुद कुछ न होते हुए भी बहुतों को मंत्री-मुख्यमंत्री बना गए

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Bal Thackeray
Bal Thackeray

Death Anniversary Special: सत्ता की धमक से दूर, पद से दूर वह लगभग चार दशकों तक देश और महाराष्ट्र की राजनीति की धुरी बने रहे।

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कई लोगों को मंत्री, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री बनाने वाले उस शख्स का इतना रसूख था कि जब साल 2012 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी चुनाव लड़ रहे थे तो उनसे समर्थन मांगने उनके बंगले पर गये थे।

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90 के दशक में अभिनेता संजय दत्त टाडा मामले में फंसे तो उनके कांग्रेसी पिता सुनील दत्त ने सत्ता के सभी दरवाजों पर दस्तक दी लेकिन कोई भी सुनील दत्त के साथ खड़े होने को तैयार नहीं हुआ, तब इसी शख्स ने की सुनील दत्त की मदद और संजय दत्त को जेल से बाहर निकलवाया। देवानंद और दिलीप कुमार जैसे अभिनेता उनके आवास पर शाम गुजारने जाया करते थे।

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जी हां, उस शख्स के एक इशारे पर मुंबई क्या पूरे महाराष्ट्र की दुकानों में ताले पड़ जाते थे। वो कोई और नहीं शिवसेना के संस्थापक बाला साहब ठाकरे थे। आज बाला साहब की नौवीं पुण्यतिथि है। 86 साल की उम्र में आज के ही दिन 17 नवंबर 2012 को उनका निधन हुआ था।

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कट्टर हिंदू समर्थक बाला साहब ने आजीवन कभी कोई चुनाव नहीं लड़े, न ही कभी कोई राजनीतिक पद पर रहे लेकिन उसके बावजूद जब तक जिंदा रहे महाराष्ट्र की राजनीति में उनका सिक्का चलता रहा। मुंबई और मराठी मानूस के मोह में अक्सर विवादित बयान देने वाले बाला साहब ताउम्र अपनी शर्तों पर जीये। चांदी के तख्त पर बैठने वाले बाला साहब के एक इशारों पर मुंबई ही नहीं पूरी महाराष्ट्र थम जाती थी।

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पेशे के कार्टूनिस्ट बाला साहब को यूपी-बिहार के लोगों से बहुत कोफ्त थी, वो अक्सर मुंबई में बाहरी लोगों के बसने और संसाधनों के इस्तेमाल पर कड़ा रूख रखते थे। उनका सीधा कहना था कि महाराष्ट्र केवल और केवल मराठियों का है। महाराष्ट्र की राजनीति में वह हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहे। सरकार किसी की बी रहे, बाला साहब ने जो कह दिया वो समझो वो आदेश हो गया।

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23 जनवरी 1926 को पूना में पैदा होने वाले बाला साहब ने बतौर कार्टूनिस्ट ‘द फ्री प्रेस जर्नल’ से अपने करियर की शुरुआत की। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में उनके कार्टून शंकर और आरके लक्ष्मण के साथ छपा करते थे। बाला साहब ने साल 1966 में शिवसेना का गठन किया। साल 1989 में ठाकरे ने शिवसेना का ‘सामना’ नामक अखबार लॉन्च किया, जिसे पार्टी का मुखपत्र माना जाता है।

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आज शिवसेना की बागडोर उनके बेटे उद्धव ठाकरे के हाथों में है और इस समय वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। वहीं उनके भतीजे राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना कर महाराष्ट्र की सियासत में अपनी जमीन तलाशने में लगे हैं।

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