एक लम्बी लड़ाई और जद्दोजहद के बाद आखिरकार कैटेलोनिया को स्पेन से आजादी मिली पर स्पेन ने इसे मान्यता देने से इंकार कर दिया। स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजॉय ने कैटेलोनिया संसद को भंग कर दिया है। राजॉय ने कैटेलोनिया के नेता कार्लोस पुजिमोंट और उनकी कैबिनेट को बर्खास्त कर चुनाव कर कैटेलेनिया में चुनाव कराने का ऐलान किया है।

बता दें कि स्पेन से अलग होने के लिए सरकार के कड़े विरोध के बावजूद कैटेलोनिया में जनमत संग्रह हुआ था। जनमत संग्रह के दौरान काफी हिंसा हुई थी और लोग सड़क पर उतर आए थे। जनमत संग्रह के बाद कैटेलोनिया प्रशासन ने घोषणा कर बताया था कि जनमत संग्रह में भाग लेने वाले 90 फीसदी लोग स्पेन से अलग होना चाहते हैं। वहीं, स्पेन का कहना था कि देश की संवैधानिक अदालत ने इस जनमत संग्रह को अवैध करार दिया है।

वहीं, शुक्रवार को ही स्पेन की संसद कैटेलोनिया पर सीधे नियंत्रण बनाए रखने के लिए मतदान कराने की योजना में थी, लेकिन उससे पहले ही कैटेलोनिया की संसद ने मतदान कर इसकी घोषणा कर दी। हालांकि बाद में स्पेन की संसद में मसले को लेकर बैठक हुई और स्पेन को कैटेलोनिया पर सीधे नियंत्रण करने की शक्ति दी गई।

इस दौरान कैटलन की संसद में मतदान से पहले संसद भवन के बाहर हजारों लोग जमा हो गए थे। संसद ने कातालूनीय को गणराज्य के तौर पर एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने संबंधी प्रस्ताव पारित किया। स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो राजोय ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और आग्रह किया कि सभी स्पेनवासी शांत रहें।

गौरतलब है कि अपने 40 साल के सबसे बड़े संवैधानिक संकट को देखते हुए स्पेन की संसद ने अपने संविधान का आर्टिकल 155 इस्तेमाल किया है। इस आर्टिकल के तहत स्पेन की एकता पर संकट को देखते हुए देश के कैटेलोनिया क्षेत्र की स्वायत्तता खत्म कर दी गई है।

दूसरी तरफ स्पेन के पीएम ने कैटलोनिया की संसद को भंग करने के बाद वहां 21 दिसंबर को क्षेत्रीय चुनाव कराने की घोषणा की है। यानी अब कैटेलोनिया के भविष्य पर पूरी तरह से मुहर 21 दिसंबर को ही लगेगी। इससे ऐसा लगता है कि स्पेन में अभी संवैधानिक संकट बना हुआ है।

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