गुजरात में विधानसभा चुनाव बस होने को है पर यहां आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस नेता अहमद पटेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रूपाणी का आरोप है कि जिस अस्पताल से आइएस का आतंकी पकड़ा गया, उसके कर्ताधर्ता अहमद पटेल हैं।
दरअसल यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब सूरत में बुधवार को दो कथित आतंकियों की गिरफ्तारी हुई और इसमें से एक कथित आतंकी उस अस्पताल में काम करता था, जिससे अहमद पटेल जुड़े रहे हैं।
विजय रूपाणी ने कहा, 23 अक्टूबर 2016 को उस अस्पताल का उद्घाटन था। यहां अहमद पटेल के निमंत्रण पर राष्ट्रपति आए थे। मंच पर भी अहमद पटेल नजर आए थे। भले ही उन्होंने इस अस्पताल के ट्रस्टी के तौर पर इस्तीफा दे दिया था, लेकिन पटेल ही कार्यक्रम के मेजबान थे। उनकी जिम्मेदारी बनती है। हम केवल ये चाहते हैं कि कांग्रेस और अहमद पटेल इस पर सफाई दें।
हालांकि अहमद पटेल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बीजेपी से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति न करने को कहा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आतंकवाद से लड़ते वक्त गुजरात के शांतिप्रिय लोगों को न बांटें। अहमद पटेल ने रूपाणी के आरोप पूरी तरह से निराधार बताते हुए अपील की कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति ना की जाए। उधर गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने कहा, अगर कोई गुनहगार है, आतंकवादी है, देश के खिलाफ काम कर रहा है तो ऐसे लोगों को फांसी की सजा दी जाए। आप लोग राजनीति ना करें, देश नीति करें और आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई करें। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, भाजपा और गुजरात के सीएम अपनी कमियों को छिपाने के लिए इस तरह के निराधार आरोप लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि अस्पताल का यही भी कहना है कि अहमद पटेल या उनके परिवार का कोई सदस्य ट्रस्टी नहीं है। अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आतंकी मोहम्मद कासिम को नियमानुसार परीक्षा के बाद अस्पताल में नौकरी मिली थी। वह चार अक्टूबर को ही अस्पताल से इस्तीफा दे दिया था, जिसे अस्पताल ने मंजूर भी कर लिया है।
हालांकि रूपानी का अब भी यही कहना है कि कांग्रेस को इस बारे में सफाई देनी चाहिए। वहीं बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मांग की है कि वो अहमद पटेल से इस्तीफा लें।