धार्मिक मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक के बाद एक बड़े फैसलों की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में पटाखों को बैन करने के बाद कोर्ट ने उज्जैन के महाकाल मंदिर को लेकर एक आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि, प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर केवल शुद्ध रिवर्स ऑसमॉसिस आरओ (RO) का जल चढ़ाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश शिवलिंग में हो रहे क्षरण को रोकने के लिए जारी किया है। इसके अलावा कोर्ट ने मात्रात्मक जल तय करने के साथ कई सुझाव भी दिए हैं। हालांकि मंदिर के प्रशासनिक समिति का मानना है कि इस आदेश को जारी करने में समय लगेगा।

भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से महाकाल मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। दरअसल, महाकाल मंदिर समिति ने भस्म और पंचामृत से शिवलिंग को नुकसान से बचाने के सुप्रीम कोर्ट में प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव उज्जैन की सारिका गुरु द्वारा पेश की गई। सुप्रीम कोर्ट जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देहरादून, भोपाल और इंदौर की टीमें गठित कर महाकाल शिवलिंग की क्षरण की जांच के लिए टीम भेजी थी।

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के प्रशासन को कुछ सुझावों पर अमल करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि, 500 मिलीलिटर से ज्यादा यानी सवा लीटर जल शिवलिंग में नहीं चढ़ाए जाएंगे। श्रद्धालु केवल RO के जल चढ़ाएंगे। शिवलिंग पर अभिषेक के लिए  हर श्रद्धालु को निश्चित मात्रा में दूध या पंचामृत चढ़ाने की इजाजत होगी। साथ ही शिवलिंग पर चीनी पाउडर लगाने की इजाजत नहीं होगी, बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। मंदिर में आरती के बाद शिवलिंग को सूती कपड़े से ढंकना भी जरूरी होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि, मंदिर परिसर में नमी न हो, इसके लिए वहां पर ड्रायर और पंखों का बंदोबस्त किया जाएगा। शिवलिंग के ऊपरी हिस्से पर ही फूल-पत्ती जैसी चीजें चढ़ाई जा सकेंगी, जिससे उसके पत्थर को सांस लेने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। रोज शाम पांच बजते ही शिवलिंग की पूरी साफ-सफाई की जाएगी।

भारत में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जिनपर कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं और कुछ धार्मिक स्थलों पर ऐतिहासिक फैसला भी सुनाया है।

केरल की सबरीमाला

केरल की सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। बता दें कि ‘इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन’ ने इस परंपरा को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में है, जिसे हाल में सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच को भेजा है।

हाजी अली दरगाह, मुंबई-

मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह में  भी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। लेकिन बांबे हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में इस प्रतिबंध को महिलाओं के मौलिक अधिकारों के खिलाफ मानते हुए राज्य को महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। साथ ही हाजी अली ट्रस्ट को भी महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के आदेश दिए।

शनि शिंगणापुर मंदिर-

महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर में भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। 400 सालों से चली आ रही पुरानी परंपरा मामला बंबई उच्च न्यायालय पहुंचा। न्यायालय ने आदेश दिया कि पूजा स्थलों में जाना महिलाओं का मौलिक अधिकार है। अदालत के इस फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी।

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