बिहार जल्दी ही खनिज संपदा के मामले में झारखंड को टक्कर दे सकता है । झरखंड से अलग होने के बाद माना जा रहा था कि बिहार के पास खनिज संपदा के नाम पर कुछ भी नहीं रह गया है। इस आधार पर बिहार को विशेष दर्जा दिये जाने की मांग भी केंद्र से होती रही है। लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार आनेवाले दिनों में बिहार में बहुत बड़े खनिज भंडार का पता लगने की संभावना है।

दरअसल, बिहार के नौ जिलों में प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा होने के संकेत मिले हैं। ये जिले हैं- भागलपुर, बांका, गया, कैमूर, रोहतास, नवादा, जमुई, मुंगेर और जहानाबाद। इन जिलों में कोयला, टाइटेनियम, चूना पत्थर, माइका, बॉक्साइट, मैग्नेटाइट आदि मिलने की संभावना है। य़े सभी बेशकीमती खनिज पदार्थ की श्रेणी में आते हैं।

जियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेक्षण में भागलपुर जिले में कोयले का अनुमानित भंडार करीब 1366.75 मीट्रिक टन पाया गया है। इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गयी है। यहां बहुत जल्द कोयले की खुदाई शुरू होने की संभावना है। इससे बिहार की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा।

खान एवं भूतत्व विभाग के अनुसार जियोलॉजिक सर्वे ऑफ इंडिया का सर्वेक्षण बिहार के कई जिलों में चल रहा है। भागलपुर जिले के श्रीनगर और लक्ष्मीपुर प्रखंड में कोयले की खोज का सर्वेक्षण अंतिम दौर में है।

गया जिला के इमामगंज प्रखंड में प्लेटिनम,निकेल और क्रोमियम के अन्वेषण का काम चल रहा है। यह मार्च 2020 तक पूरा होने की संभावना है। बांका जिले के बेलहरिया में आरईई और रेयर अर्थ मेटल का अन्वेषण मार्च 2019 तक पूरा होने की संभावना है।

इसी तरह कैमूर जिले के अधौरा क्षेत्र में और इसके चारों ओर टाइटेनियम, वैनेडियम और गैलियम का अन्वेषण कार्य मार्च 2019 तक पूरा होने की संभावना है। वहीं, भगवानपुर में भी कोंग्लोमिरेट बेड की खोज चल रही है। यह मार्च 2019 तक पूर्ण हो जायेगा।

रोहतास जिले के भोरा कटरा में चूना पत्थर की खोज चल रही है। यह काम मार्च 2019 तक पूरा होने की संभावना है। इस जिले के नोहटा में पोटास की खोज अब एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी है। जमुई जिले के मंजोस गांव में मैग्नेटाइट की खोज हो रही है।

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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