पाकिस्तान में बलूच पर हो रही क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाने वाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाई कहने वाली करीमा बलोच की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई है। करीमा पाकिस्तान की रहने वाली थी और बलूच एक्टिविस्ट थी। पाकिस्तान के आतंकी रवैये के कारण कनाडा में रहती थी। बलूच में पाकिस्तान के विद्रोह के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं।
करीम 3 दिन से गायब थी। अब जाकर उनकी लाश कनाडा के टोरंटों से बरामद हुई है। तारेक फतह ने इस मसले पर बयान दिया है उन्होंने कहा कि, “करीम पाकिस्तान की नजरों में खटकती थी। इनकी मौत के पिछे पाकिस्तान के गंदे हाथ हैं।”
करीम पाकिस्तानी तो थी पर पाकिस्तान ने उन्हें कभी भी अपना नागरिक नहीं माना, उन्हें हमेशा रॉ ऐजेंट ही माना। ये नरेंद्र मोदी को अपने भाई की तरह मानती थी।
एक इंटरव्यू में कहा था कि वह पीएम मोदी को अपना भाई मानती हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि सभी बलोच महिलाएं उनकी तरफ उम्मीद की नजर से देख रही हैं। वह बलूचिस्तान छात्र संगठन की चेयर पर्सन रह चुकी हैं। उन्होंने पीएम मोदी को भाई कहकर संबोधित किया था और कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय फोरम पर मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाएं।
साथ ही, रक्षाबंधन के मौके पर ट्विटर पर राखी शेयर करते हुए उन्होंने पीएम मोदी के सामने गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था कि कई बलोच बहनों के भाई लापता हैं और उन्हें अपने भाई का इंतजार है। इस लड़ाई में उनका साथ दे रहे हमाल हैदर से उन्होंने शादी की थी। वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने का काम करती थीं इसीलिए पाकिस्तान की नजरों में हमेशा खटकती रहीं।
करीम बूलच के तरफ बलूच की जनता शक्तिशाली महिला तरह देखती थी। साल 2016 में करीम को 100 प्रभावशाली महिला की सूची में शामिल किया गया था। वे पाकिस्तान के अत्याचारों की दास्तां संयुक्त राष्ट्र को भी सुना चुकी हैं।
बता दें कि बलोच में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। यहां पर पाकिस्तानी आर्मी पिछले 15 सालों से राज कर रही है। लोगों का दमन किया जाता है। करीम से पहले पत्रकार साजिद हुसैन की भी हत्या कर दी गई थी।
पाकिस्तान इसकदर बलूच पर हावी है कि आवाज उठाने वाले बलूच नेताओं को जेल में बंद कर दिया जाता है। साथ ही कई लोगों की हत्या भी हो चुकी है।
करीम की हत्या को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री Justin Trudeau ने कोई बयान जारी नहीं किया है। इस बात से नाराज भारतीय, Justin पर अपना गुस्सा जाहीर कर रहे हैं। ये वही पीेएम हैं जिन्होंने भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था।