मिटाने से नहीं मिटते, हटाने से नहीं हटते, वतन के नाम पर हम सिर कटाने से नहीं डरते…कुछ ऐसा ही अंदाज था भारत मां की उन तीन सपूतों का जिन्हें आज ही के दिन अंग्रेज शासकों ने फांसी पर लटका दिया था। लेकिन वो ये नहीं जानते थे कि उन्होंने एक शरीर को फांसी पर लटकाया है, उस सोच को नहीं जो पूरे देश में क्रांति की ललक जगा चुकी थी। आज पूरा देश गमगीन आंखों से मां के उन तीन लाडलों को याद कर रहा है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को शहीद दिवस के मौके पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी सिर्फ इसलिए कुर्बान कर दी ताकि और लोग अपनी जिंदगी को आजादी और सम्मान के साथ जी सकें।


महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का 87वां शहादत दिवस शुक्रवार को पूरे देशभर में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। देशभर में कई आयोजन किए गए। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद एवं शहीद-ए-आजम भगत सिंह स्मारक समिति की ओर से आजाद पार्क स्थित चंद्रशेखर आजाद प्रतिमा स्थल पर आयोजित सभा में क्रांतिकारियों को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया। शहीदों के सम्मान में सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने 21 गन शॉट फायर कर सलामी दी।

वहीं दूसरी तरफ बड़े दुख की बात है कि अभी तक तीनों क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया है। सुखदेव के परिजनों ने कहा है देश की आजादी के लिए तीनों ने अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी लेकिन आज आजादी के 70 साल बाद भी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिल सका है। परिजनों ने चेतावनी दी है कि तीनों को शहीद का दर्जा नहीं मिलने तक वे भूख हड़ताल करेंगे। बता दें कि भगत सिंह का मानना था कि जिंदगी तो सिर्फ अपने दम पर ही जी जाती है। भगत सिंह कहते थे कि आमतौर पर लोग जैसी चीजें हैं, उसी के आदी हो जाते हैं। वे बदलाव में विश्वास नहीं रखते और महज उसका विचार आने से ही कांपने लगते हैं।

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